सचिन तेंदुलकर:

'प्लीज बैठ जाइए, मैं और भावुक हो जाऊंगा'

दोस्तों प्लीज बैठ जाइए, मैं और भावुक हो जाऊंगा. पूरी जिंदगी मैंने यहीं बिताई है, यह सोचना मुश्किल है कि मेरे इस शानदार सफर का अंत हो रहा है. यूं तो मैं पढ़कर बोलना पसंद नहीं करता लेकिन आज मैंने एक लिस्ट तैयार की है कि मुझे किन लोगों का धन्यवाद करना है.

'सबसे पहले मेरे पिता का नाम'

सबसे पहले मेरे पिता का नाम आता है, जिनकी मृत्यु 1999 में हो गई थी. उनकी सीख के बिना मैं आपके सामने खड़ा ना हो पाता. उन्होंने कहा था कि अपने सपनों के पीछे भागो, राह मुश्किल होगी लेकिन कभी हार मत मानना. आज मैं उनको बहुत मिस कर रहा हूं.

'मुझे नहीं पता मां ने मेरे जैसे शैतान बच्चे को कैसे संभाला'

मेरी मां, मुझे नहीं पता कि मेरे जैसे शैतान बच्चे को उन्होंने कैसे संभाला. उन्होंने जबसे मैंने क्रिकेट शुरू किया है, तब से सिर्फ और सिर्फ प्रार्थना की है मेरे लिए.

'चार साल तक अपने अंकल-आंटी के यहां'

स्कूल घर से दूर होने के कारण मैं चार साल तक अपने अंकल-आंटी के यहां रुका था. उन्होंने मेरे को खुद के बेटे की तरह संभाला.

'बड़े भाई नितिन ज्यादा बोलना पसंद नहीं करते'

मेरे बड़े भाई नितिन ज्यादा बोलना पसंद नहीं करते लेकिन उन्होंने मुझे इतना जरूर कहा कि 'मुझे पता है कि तुम जो भी करोगे उसमें 100 प्रतिशत ही दोगे.'

'बहन सविता ने मुझे भेंट किया था'

मेरा पहला बल्ला मेरे बहन सविता ने मुझे भेंट किया था. वो आज भी मेरे लिए व्रत रखती हैं जब मैं बल्लेबाजी कर रहा होता हूं.

'मेरे लिए भाई ने अपना करियर दांव पर लगा दिया'

मेरा भाई अजीत, हमनें इस सपने को साथ जिया था. उन्होंने मेरे लिए अपना करियर दांव पर लगा दिया जब वो पहली बार मुझे मेरे पहले कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए. पिछली रात भी मेरे विकेट को लेकर उन्होंने फोन पर मुझसे बात की. जब मैं नहीं खेल रहा होता हूं तब भी हम खेलने की तकनीक के ऊपर बात कर रहे होते हैं. अगर यह ना होता तो मैं वो क्रिकेटर ना होता जो आज बन पाया हूं.

Cricket News inextlive from Cricket News Desk