पिछले साल जिमखाना मैदान में लगीं थी पटाखों की दुकानें
100 दुकानदारों के बनाए गए थे लाइसेंस पिछले साल
Meerut। पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे इसलिए जिला प्रशासन ईको फ्रेंडली दीपावली मनाने की कवायद कर रहा है। यानि बाजार में सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स ही नजर आएंगे। हालांकि, बीते वर्षो में देखें तो प्रशासन की सख्ती के बावजूद भी कुछ दुकानदार पटाखों की बिक्री करते हैं। ऐसे दुकानदारों के खिलाफ प्रशासन सख्त अभियान भी चलाएगा। सूत्रों की मानें तो दिवाली के मद्देनजर चोरी छिपे पटाखों की खेप भी लाई जा रही है। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक पटाखों दुकानदारों के लाइसेंस जारी नहीं किए हैं।
ग्रीन पटाखे ही बेंच सकेंगे
गौरतलब है कि 10 नवंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री का ही आदेश दिया था, लेकिन दुकानदार ग्रीन पटाखों की आड़ में खतरनाक पटाखे बेचते हैं। ग्रीन पटाखों की आड़ में सुतली बम, आलू बम, क्लासिक बम खूब बेचे जाते है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक ग्रीन पटाखों की आड़ में खतरनाक पटाखे बेचने वालों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जाएगा।
यहां बनते हैं खतरनाक पटाखे
सूत्रों की मानें तो शहर के कई इलाकों में बिना लाइसेंस पटाखा बनाने का कारोबार चल रहा है। शहर के तीरगरान, भोपाल विहार, गोकुलपुर, मंगलपांडे नगर, तारापुरी, अहमद नगर, श्याम नगर, शिव शक्ति विहार आदि में पटाखा बनाने की फैक्ट्री चल रही हैं। पुलिस की अनदेखी के चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। तीरगरान में पटाखा लेने दूर-दराज से लोग आते हैं।
लाइसेंस के लिए आ रहे दुकानदार
कलक्ट्रेट में शस्त्र अनुभाग में पटाखों के लाइसेंस के लिए दुकानदार आ रहे है। हालांकि, गाइडलाइन न होने से अभी लाइसेंस नहीं बन रहे हैं। शस्त्र अनुभाग की जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में पटाखा कंपनी के मालिकों ने ग्रीन पटाखे बनाने का दावा पेश किया है। इस पर सुनवाई 22 अक्टूबर को है। इसके बाद ही गाइडलाइन आएगी।
ये हैं पटाखा दुकान लगाने के नियम
पटाखे की दुकान आबादी से दूर होनी चाहिए।
बिजली सप्लाई के लिए हाइटेंशन तार, ट्रांसफार्मर के आसपास दुकान नहीं होनी चाहिए।
जिला प्रशासन, अग्निशमन विभाग और संबंधित थाना पुलिस की एनओसी के बाद ही पटाखा लाइसेंस मिलता है।
पटाखों की दुकान में दीवारों पर धूम्रपान निषेध की सूचना बोर्ड होना चाहिए।
अग्निशमन यंत्र होना, आग बुझाने के लिए रेत की बाल्टी पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।
मौके पर प्राथमिक उपचार, फर्स्ट एड बॉक्स होना चाहिए।
ये हो चुके हैं हादसे
7 मार्च 2018
लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के समर गार्डन में खाली पड़े एक प्लॉट में सुतली बम (पटाखा) फटने से छह बच्चे घायल हो गए थे।
23 मई 2016
लिसाड़ी गेट के इस्लामाबाद में खत्ता रोड के पास ही आतिशबाजी के लिए लाए गए। पटाखों को नष्ट करते समय उनमें विस्फोट हो गया था। तीन बच्चों समेत 18 लोग घायल हो गए थे।
5 फरवरी 2014
सरूरपुर थाने के मालखाने की सफाई करते समय पटाखों में आग लग गई थी पूरा मालखाना जल गया था। इस दौरान सफाई कर रहे आठ चौकीदार झुलसे थे।
21 मई 2010
तीरगरान गुदड़ी बाजार मोहल्ले में पटाखे बनाते समय विस्फोट में चार लोगों की मौत हुई थी। दो मकान भी क्षतिग्रस्त हुए थे।
पिछले साल बढ़ा था प्रदूषण
गत वर्ष नंवबर में दीवाली के बाद आसमान में छाई धुंध ने अपना प्रभाव भी छोड़ा था। ओपीडी में पहुंचे तमाम मरीजों की संख्या में रिकार्ड इजाफा हुआ था। खासकर जिन मरीजों में आक्सीजन की मात्रा 93 फीसद थी, वो घटकर 85 के आसपास रह गई। अस्थमा, हार्ट और किडनी के मरीजों के लिए हालात खतरनाक हो गए थे।
मोनोआक्साइड ने भी निगली आक्सीजन
उप्र पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके त्यागी ने बताया कि पटाखों में गंधक, मैग्नीशियम, पोटाश, लेड, सोडियम जैसी कई धातुएं होती हैं। दीपावली के दौरान बड़ी मात्रा में चली आतिशबाजी एवं पटाखों का जहरीला धुआं आसमान में पहुंचता है। कार्बन मोनोआक्साइड गैस हवा में आक्सीजन खत्म करती है।
बढ़ जाता है अटैक का खतरा
गौरतलब है कि औद्योगिक प्रदूषण से हवा में लेड, निकिल, कैडमियम, क्रोमियम, बोरान एवं अन्य रसायनों के सूक्ष्म कण घुले होते हैं। ऐसे में दीवाली के दूसरे दिन 9 नवंबर 2018 को गत वर्ष पीएम-10 की मात्रा 300-400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई। वहीं रात में तापमान गिरने से सांस लेने की परत में प्रदूषित कणों की सांद्रता बढ़ जाती है। जिससे अस्थमा के मरीजों को अटैक तक की संभावना बन जाती है। इतना ही नहीं एलर्जिक रानाइटिस एवं साइनोसाइटिस के मरीज अचानक दीवाली के बाद बढ़ जाते हैं। गत वर्ष भी दीवाली के अगले दिन मरीजों में तेजी से सांस फूलने के लक्षण मिले थे। सांस एवं स्किन एलर्जी की तमाम दवाएं संक्रमण फैलाने वाले तमाम बैक्टीरिया पर नाकाम साबित होती हैं।
पिछले साल बढ़ा था पॉल्यूशन
9 नवंबर 2018 को बिजली बंबा चौराहे पर एयर क्वालिटी इंडेक्स पीएम 10 का लेवल 395 पर पहुंच गया।
अधिकतम तापमान
27.4 डिग्री
न्यूनतम तापमान
11.7 डिग्री
पिछले साल दिवाली में प्रदूषण स्तर
स्थान पीएम 10
बिजली बंबा चौराहा 395
सर्किट हाउस 374
ईव्ज चौराहा 351
भगत सिंह चौराहा 347
खैरनगर चौराहा 378
मेडिकल चौराहा 365
जीरो माइल चौराहा 290
लालकुर्ती चौराहा 365
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखों से निकलने वाला धुआं और ध्वनि प्रदूषण नहीं फैलाता है। इन पटाखों में बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसमें एल्यूमिनियम और राख भी प्रयोग नही होता है। इस कारण से इनमें पीएम10 और पीएम2.5 30 से 35 पसर्ेंट तक कम निकलता है। साथ ही सल्फर डाइ ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन भी 35 से 40 परसेंट कम होता है।
पटाखों के लाइसेंस के लिए अभी कोई गाइड लाइन नहीं आई है। जो भी शासन से आदेश मिलेगा, उसी के तहत फायर विभाग अपनी रिपोर्ट लगाएगा। ग्रीन पटाखे बेचने वालों के लाइसेंस की अनुमति ही फायर विभाग की रिपोर्ट लगाएगी। सभी नियमों का पालन कराया जाएगा।
अजय कुमार शर्मा, सीएफओ