- लॉ एंड ऑर्डर के मामले में प्रदेश सरकार अब तक दो प्रमुख सचिव गृह बदल चुकी

- जमीनी स्तर पर जनता से जुड़ने वाले अधिकारियों पर क्यों नहीं गिराई गाज

LUCKNOW: लॉ एंड ऑर्डर के मामले में चौतरफा घिरी प्रदेश सरकार अब तक भले ही दो प्रमुख सचिव गृह बदल चुकी हो लेकिन ग्राउंड लेवल पर एक्जीक्यूट कराने वाले अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब लॉ एंड ऑर्डर के मामले में चूक की सजा दी जा रही है तो ऊपरी अधिकारियों के तबादले से क्या फायदा? जीनी स्तर पर जनता से ताल्लुक रखने वाले पुलिस अफसरों पर गाज क्यों नहीं गिराई जा रही।

पब्लिक से जुड़े होते हैं पुलिस अफसर

मामला बदायूं का हो या फिर नोएडा और मुजफ्फरनगर का। ग्राउंड लेवल पर एक्जीक्यूशन पुलिस के अधिकारियों को ही कराना होता है। पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही भी सीधे एडीजी एलओ और डीजीपी को होती है। आईपीएस से लेकर पीपीएस तक के आधा दर्जन से अधिक अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया लेकिन इन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी। कानून व्यवस्था सुधारने का हवाला देकर दो प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम अब तक बदले जा चुके हैं लेकिन न तो डीजीपी पर कोई कार्रवाई हुई और न ही एडीजी लॉ एंड ऑर्डर पर।

छुट्टी पर चल रहे एडीजी एलओ

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर मुकुल गोयल काफी दिन से छुट्टी पर चल रहे हैं। सोर्सेज की मानें तो वे इन दिनों विदेश में हैं और ख्म् जून को लौटकर चार्ज संभालेंगे। इस दौरान यह भी चर्चा रही कि कार्यवाहक एडीजी लॉ एंड ऑर्डर डीएस चौहान को एडीजी एलओ बनाया जा रहा है, लेकिन मुकुल गोयल की छुट्टियों की तारीख खत्म होने के साथ इस चर्चा पर भी लगाम लग रही है।