-चर्चा में रही लक्ष्मीकांत वाजपेयी और शाहिद मंजूर की हार

- मेरठ में भाजपा को वोट बैंक बरकरार, फिर भी मिली हार

मेरठ: भाजपा के कद्दावर और प्रदेश अध्यक्ष रहे लक्ष्मीकांत बाजपेयी को मोदी लहर का लाभ नहीं मिला तो सरकार में कबीना मंत्री रहते हुए शाहिद मंजूर जनता का भरोसा नहीं जीत सके। प्रदेश में एक ओर जहां मोदी की लहर में सभी दल हाशिए पर खड़े दिखाई दे रहे हैं वहीं लक्ष्मीकांत का चुनाव हार जाना बाकई ताज्जुब का विषय है। रोमांचक मुकाबले के बीच मेरठ में हुए फेरबदल आंकड़ेबाजों की नहीं सच्चाई की तस्वीर बयां कर रहे हैं।

रफीक के सितारे चमके

2012 के चुनाव में महज 6278 वोटों से पिछड़ने वाले सपा प्रत्याशी रफीक अंसारी ने बीती पांच सालों में जनता के बीच जगह बनाने का काम किया। विधायक निधि से सर्वाधिक विकास कार्य कराने के बाद भी पिछड़ गए बाजपेयी पर रफीक का रवैया भारी पड़ा। सरकार रहते हुए रफीक ने गरीबों का काम करने की कोशिश की तो वहीं मुस्लिमों को एकजुट करना चुनावी नतीजों में फायदा दे गया। किस्मत के धनी रफीक को सीएम अखिलेश और रामगोपाल यादव के करीबी होने की सजा मिली। शिवपाल यादव ने टिकट काटकर अय्यूब अंसारी को पकड़ा दिया। बड़े पैमाने पर हुए इस फेरबदल में कई दावेदारों की हवा निकल गई तो रफीक हमेशा यह कहते रहे कि 'हम कामयाब होंगे.'

नहीं घटा बाजपेयी का वोट

2012 के विधानसभा चुनाव में मेरठ शहर विधानसभा में कुल 1,79,161 वोट पड़े से जिसमें से करीब 38 प्रतिशत (68154) वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया। 2017 में भी वोटिंग प्रतिशत बरकरार रहा, सीट पर कुल 1,95,347 वोट में से करीब 38 प्रतिशत (74448) वोट बाजपेयी को मिला है। मुस्लिम वोटर्स का एकजुट होना बाजपेयी की हार का कारण माना जा रहा है। रफीक के अलावा कांग्रेस के युसूफ कुरैशी (31895) और बसपा के सलीम अंसारी (13164) चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे।

नहीं काम आया काम

सपा में श्रम एवं रोजगार मंत्री रहे कैबिनेट मिनिस्टर शाहिद मंजूर की हाल मोदी की लहर का नतीजा माना जा रहा है। जीत का सेहरा पहले भाजपा प्रत्याशी सत्यवीर त्यागी को हर वर्ग का वोट मिला है। 2012 में महज 16,702 वोट लेकर भाजपा प्रत्याशी जयपाल चौथे स्थान पर थे। 2017 में 90,622 वोट हासिल कर भाजपा प्रत्याशी सत्यवीर त्यागी 'मोदी मैजिक' के चलते इतिहास रचा है।

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इनसेट

लहर ही लहर

कताई मिल स्थित मतगणना केंद्र से मेरठ के भाजपा प्रत्याशियों के फेवर में रुझान आ रहा था तो वहीं परिसर में मौजूद हर आम-ओ-खास के चेहरों पर मुस्कान थिरक रही थी। एक अजीब सा नजारा पूरे दिन परिसर में रहा, सपा जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह के अलावा अन्य दलों के पदाधिकारी परिसर में नहीं दिखाई दिए। मतगणना के कार्य में लगे पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कार्मिक भी भाजपा की उछाल में रोमांच के साथ शामिल हो रहे थे।