कहानी :
2050 तक भारत , आर्यावर्त बन चुका है और अपने धर्म जाति से परे शादी करना एक पाप है जिसका शुद्धिकरण होता है, ऐसे में पापी है एक लड़की शालिनी और उससे पैदा एक अशुद्ध बच्ची लैला। कहानी लैला और शालिनी के सरवाइवल की है।

समीक्षा :
पिछले साल रेडी प्लेयर वन से स्टीवन स्पिलबर्ग ने हमे फ्यूचरिस्टिक वर्चुअल वर्ल्ड की एक झलक दिखाई थी, इस सीरीज को देख के भी विभत्स फ्यूचर की एक झलक दिखती है। थीम अच्छी है, और पूरी सिरीज़ बड़े सलीके से शूट की गई है। आने वाला कल किसीने देखा नहीं, ऐसी दुनिया को केवल थॉटप्रोसेस से स्क्रीन पे क्रिएट करने के लिए दीपा मेहता को शाबाशी तो मिलनी ही चाहिए। कहानी की तरह देखे तो समझ लीजिए ये पोस्ट अपोकोलिप्टिक नाज़ी कैम्प की कहानी है, कट्टरता की कहानी है और ये किसी भी देश की सच्चाई बन सकती है यूं समझ लीजिए राइटर ने फ़र्ज़ किया है कि ये कहानी भारत की है।



क्या नहीं आया पसंद :
स्टोरी तो अच्छी है पर स्टोरी टेलिंग बड़ी बिखरी हुई है, कहानी इतने क्लोज्ड स्पेस में इतना तीतर बितर करके भागती है कि समझ नहीं आता कि किसके पर्सपेक्टिव से सुनाई जा रही है। लास्ट में समझ नहीं आता कि प्रो हिन्दू सेटअप की ये कहानी प्रो हिन्दू है या एन्टी हिन्दू। क्लेरिटी नहीं है।

अदाकारी :
कास्टिंग बहुत अच्छी है। हर किसी का काम बहुत बढ़िया है, हुमा की हिम्मत की दाद देनी चाहिए।

कुलमिलाकर अगर सिर्फ कहानी की तरह देखें तो लैला इंटरेस्टिंग है, बोर नहीं करती और चौंकाती है। फ्यूचरिस्टिक इंडिया के नाम पे, चाय पे चर्चा करते हुए लैला देख सकते हैं।

रेटिंग : 3.5 स्टार

Review by : Yohaann Bhaargava

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