JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अब लेप्रोस्कोपिक सर्जरी संभव होगी। शुक्रवार को इस मशीन से एपेंडिक्स मरीज की सफल सर्जरी कर इसकी शुरुआत की गई। एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी ने बताया कि इस मशीन को चलाने के लिए फिलहाल दो विशेषज्ञ चिकित्सक मौजूद है। इसमें डॉ। एचआर खान व एक अन्य शामिल हैं। इस सर्जरी के बाद मरीजों को ठीक होने और काम पर लौटने में कम समय लगता है। निजी अस्पतालों में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कराने पर 40 से 50 हजार रुपये खर्च होता है लेकिन एमजीएम अस्पताल में मुफ्त में होगा। डॉ। नकुल प्रसाद चौधरी ने बताया कि लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (दूरबीन शल्य चिकित्सा पद्धति) नियमित रूप से होगा। उन्होंने कहा कि यह एक अत्याधुनिक शल्य चिकित्सा पद्धति है, जिसमें पेट के ऑपरेशन बहुत ही छोटे चीरों (0.5 से 1.सेमी) के द्वारा संपन्न किए जाते हैं। पहले इन्हीं ऑपरेशनों के लिए 5 से 8 इंच तक के चीरे लगाने की आवश्यकता पड़ती थी।

होने वाली सर्जरी

लेप्रोस्कोपिक मशीन से सामान्यत: एपेंडिक्स, गाल ब्लेडर, पथरी, हर्निया, बच्चेदानी के ऑपरेशन, ओवेरियन ट्यूमर, किडनी सहित अन्य ऑपरेशन इस पद्धति से संभव हैं।

एमजीएम में शुरू होगी पीजी की पढ़ाई

महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के महिला एवं प्रसूति विभाग में छह सीट पर पीजी की पढ़ाई शुरू होना है। इसकी जांच के लिए शुक्रवार को मेडकिल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की एक सदस्यीय टीम एमजीएम अस्पताल पहुंची। यहां पर महिला एवं प्रसूति विभाग के ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या, होने वाले प्रसव, डॉक्टरों की संख्या, इमरजेंसी की स्थिति, पैथोलॉजी जांच, प्रसव रूम, ऑपरेशन थियेटर सहित अन्य विभागों को बारी-बारी से देखा। जिसमें कई खामियां सामने आई। महिला एवं प्रसूति विभाग में फिलहाल एक ही ऑपरेशन थियेटर संचालित है। जबकि दो थियेटर होने चाहिए। दूसरा ऑपरेशन थियेटर बनने में करीब-करीब दो माह का समय लगेगा। वहीं प्रसव रूम में बेड की संख्या कम होने से एमसीआइ की टीम ने आपत्ति जताई। फिलहाल बेड की संख्या छह है। जबकि दस से अधिक होने चाहिए। वहीं एमजीएम अस्पताल में रोजाना 20 से 25 सर्जरी होती है। इसमें सिजेरियन आठ से दस व बाकि सामान्य ढंग से होता है। इससे पूर्व सर्जरी, पैथोलॉजी सहित अन्य विभागों में भी पीजी की पढ़ाई के लिए टीम निरीक्षण कर चुकी है।