- बिजली चोरी के लिए बदनाम पुराने लखनऊ में लगेंगे रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर

- एक ही जगह से मिल जाएगी पूरे इलाके की रीडिंग

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: बिजली चोरों और अपने मीटर की रीडिंग न देने वाले डिफाल्टर कंज्यूमर्स की रीडिंग लेने के लिए लेसा अब उनके घरों में रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर लगाएगा। इन मीटर्स को लगाने की शुरूआत पुराने लखनऊ व अधिक बिजली चोरी वाले कुछ अन्य इलाकों से होगी। ये मीटर लगने के बाद कंज्यूमर घर पर नहीं होंगे तो भी लेसा के कर्मचाीर आपके मीटर की रीडिंग ले सकेंगे। तुरंत ही बिल बनकर आपके मोबाइल पर एसएमएस से पहुंचेगा और बाद में हैंड बिल भी पहुंचाया जाएगा।

इन इलाकों में ज्यादा दिक्कत

लेसा प्रशासन के अनुसार चौक, ठाकुरगंज, अपट्रॉन, नूरबाड़ी लाइन लॉसेस ज्यादा हैं। ये ऐसे इलाके हैं जहां पर लोग अपना मीटर चेक नहीं कराते। या फिर मीटर रीडर के आने के समय ताला बंद कर घर से ही निकल जाते हैं। बिजली चोरी पकड़ना भी इनके घर में आसान नहीं है। लखनऊ में ऐसे लगभग 70 हजार कंज्यूमर हैं जो डिफाल्टर हैं। इनकी रीडिंग भी नहीं हो पाती। यही वे इलाके भी हैं जहां अभी भी पुराने मैकेनिकल मीटर भी अधिक हैं। अब एक तरफ से सभी के मीटर चेंज होंगे तो ये समस्या भी खत्म हो जाएगी।

लगेंगे रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर

ऐसे कंज्यूमर्स से निपटने के लिए लेसा प्रशासन इन कंज्यूमर्स के घर रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर लगाने की प्लानिंग कर रहा है। इन इलाकों के अलावा ट्यूबवेल कनेक्शन में भी यही मीटर लगाए जाएंगे। ताकि शत प्रतिशत मीटर रीडिंग लेकर बिल बनाए जा सकें।

ऐसे करेंगे काम

लेसा अधिकारियों के मुताबिक रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर ब्लूटूथ जैसी डिवाइस के द्वारा रीडिंग एक निश्चित सीमा तक दूसरी डिवाइस में भेजी जा सकती है। यह दूसरी डिवाइस मीटर रीडर के पास मौजूद मशीन में होगी। मीटर रीडर किसी मोहल्ले में एक स्थान पर खड़े होकर कुछ मिनट में सभी घरों की रीडिंग ले लेगा। न तो किसी के घर में जाने की जरूरत न ही मीटर चेक करने की। रीडिंग मिलने के बाद बिल बन जाएगा और लेसा प्रशासन उसे घर भेज देगा। इन मीटरों की खास बात होगी कि इनसे छेड़छाड़ करना भी संभव नहीं होगा। छेड़छाड़ करने पर ये मीटर इसकी जानकारी लेसा प्रशासन को मैसेज द्वारा भेज देंगे। जिससे लेसा प्रशासन छापामार कर बिजली चोरी को पकड़ लेगा।

हो सकेगी 100 परसेंट रीडिंग

अभी लेसा के पास लगभग 9 लाख कंज्यूमर हैं। फिर भी हर माह रीडिंग 70 परसेंट ही हो पाती है। जिससे लगभग 30 परसेंट कंज्यूमर्स के बिल ही नहीं पाते। जिसका बड़ा कारण मैनपावर की कमी और मीटर रीडिंग न हो पाना है। रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर में रीडिंग लेने के लिए अब कम आदमियों की जरूरत पड़ेगी और रीडिंग का पर्सेटेज भी बढ़ेगा।

पुराने लखनऊ व कुछ अन्य इलाकों में रेडियो फ्रीक्वेंसी मीटर लगाने की योजना है। अगले कुछ माह में इसे शुरू किया जाएगा। इससे बिना मीटर देखे ही रीडिंग ली जा सकेगी।

एसके वर्मा, चीफ इंजीनियर लेसा