बुरे लोगों का साथ बुरा होता है

हम सभी जानते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी कैकेयी भगवान राम को अपने बेटे भरत से भी ज्यादा प्यार करती थीं लेकिन फिर भी वह भगवान राम के खिलाफ क्यों हो गईं. ऐसा सिर्फ मंथरा से उनकी बढ़ती नजदीकी की वजह से हुआ. अगर कैकेयी मंथरा की संगत में नहीं होतीं तो वह पहले जैसे ही भगवान राम को प्यार देती रहतीं और भरत के लिए राजगद्दी नहीं मांगतीं.

Lesson: ऑफिस, घर या सोशल सर्कल में उन लोगों से जुडऩे की कोशिश बिल्कुल ना करें जिन्हें आप सही नहीं मानते हैं. अगर आपके सर्कल में कोई ऐसा है जो आपको गलत सजेशन देता है तो उससे तुरंत दूरी बनाएं.

बंधन से बच कर रहें

मारीच अपना रूप बदलकर खुद सुनहरा हिरण बन गया, माता सीता उसे देखते ही मुग्ध हो गईं और इस तरह वह उसके छलावे में आ गईं. मारीच एक छलावा था जिसे सीता जी भांप नहीं पाईं. यह वैसे ही है जैसे मक्खी को मकड़ी का जाल लुभाता है लेकिन वह उसमें जाकर फंस ही जाती है.

Lesson:  हमें चीजों को तटस्थ हो कर देखना चाहिए, उसमें खोकर नहीं. अगर हम किसी चीज से गहराई से जुड़ जाते हैं तो उसके बारे में सही फैसले पर पहुंचना मुश्किल होता है.

पद से नहीं कर्म से राजा बनें

भगवान राम अपने कर्म से महाराज दशरथ के दिल में जगह बनाना चाहते थे. वह अयोध्या का सिंहासन छोडक़र अपने पिता के आदेश पर वनवास चले गए. उस वक्त वह अयोध्या के राजा भले ही ना बने लेकिन उन्होंने अपने पिता के दिल में अपनी जगह जरूर बना ली.

Lesson: बड़ा दिखने और बड़ा बनने के लिए हम सभी को किसी ओहदे की जरूरत होती है पर भगवान राम का वनवास जाने का फैसला इस बात की तरफ इशारा करता है कि कोई भी कर्म से ही बड़ा हो सकता है ना कि ओहदे से.

मौके सचेत लोगों के लिए होते हैं

अयोध्यावासी नहीं चाहते थे कि भगवान राम राज सिंहासान त्याग कर वनवास जाएं. जब भगवान राम अपने फैसले पर कायम रहे तो अयोध्यावासी भी उनके साथ वनवास जाना चाहते थे. भगवान राम अयोध्यावासियों को उस वक्त छोडक़र चले गए जब वे सभी सो रहे थे. वे भगवान राम को जाते हुए भी नहीं देख पाए.

Lesson:  अगर आप लेजी हैं तो बहुत से अच्छे मौके आपके हाथ से निकल सकते हैं. कम से कम आपने अपने लिए जो लक्ष्य तय किया हो, उसको लेकर तो आपको सचेत रहना चाहिए. दृढ़निश्चयी लोगों के सभी काम पूरे होते हैं.  

सलाह को नजरअंदाज ना करें

रावण अपनी मायावी विद्या की वजह से युद्ध के मैदान में भगवान राम की हर कोशिश को नाकाम कर रहा था लेकिन इस बीच भगवान राम ने विभीषण की सलाह ली. विभीषण ने उन्हें रावण की नाभि में तीर मारने को कहा क्योंकि उसी में उसके प्राण बसते थे. श्रीराम ने रावण की नाभि में तीर मारा और युद्ध जीत लिया.

Lesson: इससे ये सीख मिलती है कि अच्छी सलाह हमें जिंदगी के बड़े फैसले लेने में मदद करती है इसलिए अगर कोई सलाह के तौर पर कुछ आपसे कुछ कहना चाहता है तो उसे ना बिल्कुल अनसुना ना करें. पहले सुनें जरूर और अगर वो सलाह काम की हो तो उसे जरूर मानें.

रावण ने भगवान राम को क्या ज्ञान दिया?

मरने से पहले भगवान राम के अनुरोध पर रावण ने जो ज्ञान भगवान राम को दिया था वह ज्ञान पूरी दुनिया के लिए था. रावण ने कहा था, ‘जो चीजें आपके लिए बुरी होती हैं वे आपको अपनी तरफ आसानी से खींचती हैं, और आप धैर्य खोते हुए उसकी तरफ बढ़ते चले जाते हैं लेकिन जो चीज आपके लिए वाकई जरूरी होती हैं वह आपको आकर्षित नहीं कर पाती है. यही वजह है कि मैनें सीता का अपहरण कर लिया और आपसे मिलना जरूरी नहीं समझा. यही मेरा ज्ञान है जो मैंने अपनी जिंदगी से सीखा है.’

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