कोषागार में लग रही बुजुर्ग पेंशनर्स की लंबी लाइन

खुद को जीवित साबित करने को जरूरी दस्तावेज जुटाना है पहाड़

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ALLAHABAD: कहते हैं कि जिंदगी इम्तिहान लेती है। लेकिन अगर उम्र के अंतिम पड़ाव पर में जिंदगी इम्तिहान ले तो किसी के लिए इस इम्तिहान से गुजरना बेहद मुश्किल हो जाता है। जिले के साठ हजार पेंशनर्स को आजकल इसी मुश्किल से गुजरना पड़ रहा है। पेंशन के लिए जिंदा होने का सबूत देना उनके लिए जवाब दे चुके घुटनों के साथ पहाड़ लांघने जैसा साबित हो रहा है।

देना है जिंदा होने का सबूत

सरकारी पेंशन मिलती रहे इसके लिए पेंशनर्स को हर साल नवंबर माह में लीविंग सर्टिफिकेट जमा कराना होता है। यही कारण है कि नवंबर माह शुरू होते ही जिला कोषागार कार्यालय में पेंशनर्स की भारी भीड़ जुटने लगी है। जिले भर में साठ हजार के आसपास पेंशनर्स हैं। इनमें से पचास हजार अकेले कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार से नियमित पेंशन प्राप्त करते हैं। बाकी सिविल लाइंस स्थित इंदिरा भवन कोषागार से संबंधित हैं।

अब तो घुटने भी साथ नही देते, इतने कागज कहां से लाएं

सरकारी व्यवस्था के तहत जीवित होने का सुबूत देने के लिए कई कागजात फार्म के साथ लगाने पड़ते हैं। बातचीत में कई पेंशनर्स ने बताया कि अब उनकी उम्र 70 वर्ष से अधिक हो चली है, ऐसे में चलना फिरना मुश्किल है। बेटे-बेटी के पास इतना समय नहीं कि वह जरूरी कागजात एकत्र करने में मदद करें। ऐसे में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 50 फीसदी से अधिक पेंशनर्स बिना किसी सहारे के कोषागार तक आने में सक्षम नहीं होते हैं। उस पर भी कोई जरूरी कागजात मिसिंग है तो परेशानी और बढ़ जाती है।

इन साक्ष्यों को जमा करना जरूरी

कोषागार द्वारा जारी किया गया परिचय पत्र और प्रमाणित फोटो युक्त पेंशन भुगतान आदेश।

बैंक की नई एवं पुरानी पासबुक, जिसमें प्रबंधक द्वारा प्रमाणित फोटोग्राफ लगी हो।

मासिक पेंशन 25 हजार रुपए से अधिक आयकर दाता पेंशनर्स को अपने पैनकार्ड की फोटोकॉपी व इंकम टैक्स अदायगी या बचत के विवरण जमा कराना जरूरी है।

जीवित होने के आवेदन फार्म में फोटो लगाना आवश्यक है। सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी वैयक्तिक पहचान पत्र।

पारिवारिक पेंशन अपनी जन्मतिथि या आयु के प्रमाण हेतु आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।

25 साल तक पेंशन पाने वाले पुत्र व पुत्रियों, अविवाहित, तलाकशुदा, विधवा पुत्रियों के मामलों में तहसीलदार द्वारा निर्गत नवीनतम आय का प्रमाणपत्र और अविवाहित होने व बेरोजगार होने का शपथ पत्र।

बिस्तर पर हैं तो प्रस्तुत करिए साक्ष्य

ऐसे भी पेंशनर्स हैं जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं और चलने-फिरने में असमर्थ हैं। उन्हें किसी सहायता से भी कोषागार तक लाना मुश्किल है। उनके परिजनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नियमानुसार कोषागार में यह साबित करना पड़ता है कि पेंशनर बिस्तर से उठ नही सकता। इसके लिए डॉक्टरी इलाज के साक्ष्य प्रमाण के साथ प्रस्तुत करने पड़ते हैं। ऐसे में कोषागार का कर्मचारी घर जाकर पेंशनर की वर्तमान स्थिति को देखता है और उसकी पेंशन जारी करता है।

बुजुर्गो की सुविधाओं का अभाव

वैसे तो कोषागार में पेंशनर्स की स्थिति को देखते हुए कई काउंटर लगाए गए हैं। जहां पर उन्हें फार्म उपलब्ध कराने के साथ जरूरी सलाह मुहैया कराई जा रही है। तीन सहायक कोषागार अधिकारियों को विभागवार जीवित प्रमाण पत्र जमा कराने की जिम्मेदारी दी गई है। बावजूद इसके यहां पर बैठने की उचित व्यवस्था नहीं होने से पेंशनर्स को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पेयजल की भी उचित व्यवस्था मौजूद नहीं है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है जिनकी पेंशन जिस माह से शुरू हुई है, वह उसी माह में अपना जीवित प्रमाण पत्र जमा करा सकते हैं।

ऑनलाइन हो जाए तो बात बने

उत्तर प्रदेश में अभी ऑनलाइन जीवित प्रमाण पत्र जमा कराने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अगर यह सुविधा मिल जाए तो पेंशनर्स को इतनी जलालत उठाने से निजात मिल सकती है। वह इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे सभी साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं। विभाग का कहना है कि सभी कवायद ऑनलाइन प्रॉसेस को लागू करने के लिए ही चल रही है। जब तक ऑनलाइन सुविधा की शुरुआत नही होती, पेंशनर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

आंकड़ों पर एक नजर

60 हजार पेंशनर्स हैं जिलेभर में, हर साल देते हैं जिंदा होने का सबूत

50 हजार पेंशनर्स कलेक्ट्रेट स्थित कोषागार से लेते हैं लाभ

10 हजार को इंदिरा भवन स्थित कोषागार से मिलता है लाभ

साल में एक बार पेंशनर्स को बुलाया जाता है। उनकी पूरी सुविधाओं का ख्याल रखा जा रहा है। प्रचार-प्रसार के जरिए साक्ष्यों की जानकारी दी जा चुकी है। अगर किसी के पास कोई साक्ष्य नही है तो उसको ऑनलाइन सर्च भी किया जाता है।

संजय मालवीय, सहायक कोषागार अधिकारी