- जल्द ही बढ़ सकते हैं जीवन रक्षक दवाओं के दाम

- कैंसर, हार्ट, कोलेस्ट्राल, टीबी, डायबिटीज की दवाओं को केंद्र सरकार ने किया नियंत्रण से बाहर

ALLAHABAD: लोगों को महंगाई से निजात दिलाने का सपना दिखाने वाली केंद्र सरकार का यह कदम वाकई पब्लिक को नागवार गुजर सकता है। खासतौर से उन मरीजों को जो डायबिटीज, कैंसर, कोलेस्ट्राल, हार्ट की बीमारियों का इलाज करा रहे हैं। इन बीमारियों की जीवन रक्षक दवाओं के दामों में जल्द बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल, नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइजिंग अथारिटी द्वारा हाल ही में इन दवाओं को अपने नियंत्रण से बाहर कर दिए जाने के बाद यह स्थिति पैदा हुई है।

108 दवाओं के बढ़ेंगे दाम

वर्ष 2013 में एनपीपीए (नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइजिंग अथारिटी) ने तत्कालीन यूपीए सरकार के हस्तक्षेप के चलते कुल म्ख्भ् जीवन रक्षक दवाओं को अपने नियंत्रण में ले लिया था। जिसके चलते इनके रेट कम होना पक्का माना जा रहा था। हालांकि दवा कंपनियों ने करोड़ों के घाटे का वास्ता देकर इसका काफी विरोध किया। दो महीने पहले ही एनपीपीए इनमें से क्08 जीवन रक्षक दवाओं को अपने नियंत्रण से बाहर कर दिया। ऐसे में इनके दाम दोबारा कई गुना बढ़ सकते हैं। इनमें एंटी कैंसर, हार्ट, एंटीबायटिक, कोलेस्ट्राल, डायबिटीज, टीबी, इंजेक्शन, एंटी रैबीज सहित कई महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं।

जून में ही घटे थे दाम

पिछले साल दवाओं के रेट कम करने के एनपीपीए के निर्णय के बावजूद मरीजों को राहत मिलने में काफी समय लग गया। दवा कंपनियों के विरोध के चलते निर्णय का कम्प्लायंस इसी साल जून में हुआ है। अभी दवाओं के दाम घटे ही थे कि दोबारा जीवन रक्षक दवाओं को नियंत्रण से बाहर कर दिया गया। ऐसे में इस बार इनके दाम पहले से भी ज्यादा बढ़ जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। बता दें कि इन दवाओं का सालाना टर्न ओवर भ्भ्00 करोड़ रुपए से अधिक का है।

सोशल मीडिया में मोदी पर लग रहे आरोप

जीवन रक्षक दवाओं को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने के केंद्र सरकार के निर्णय की चारों ओर आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया में इस घटना को पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे से जोड़कर देखा जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि मोदी ने अमेरिका में कैंसर की दवा बनाने वाली कंपनियों के सीईओ से मुलाकात कर उन्हें तोहफा दिया है। यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे अजय माकन ने बकायदा ट्वीट करके इस मामले में मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उनका कहना है कि इस देश में ब्.क् करोड़ मरीज डायबिटीज, ब्.7 करोड़ मरीज हार्ट, ख्ख् लाख टीबी, क्क् लाख कैंसर और ख्भ् लाख एचआईवी के मरीज हैं। ऐसे में दवाओं के दाम भविष्य में कई गुना बढ़ जाने से मरीजों को इलाज में काफी दिक्कतें पेश आ सकती हैं।

इन दवाओं का महंगा होना देगा दर्द

कुल क्08 में से कुछ दवाएं ऐसी हैं जिनका दाम बढ़ा तो मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इनमें एंटी कैंसर की गेफ्टीनेट, नोल्वाडेक्स, वीनट, ग्लेवेक, ब्लड प्रेशर व हार्ट की कार्डेक भ् एमजी, सेलोकेन एक्सएल भ्0, लोजर भ्0 एमजी, प्लेविक्स, एंटीबायटिक की मोक्सीसिप ब्00, मोक्सीफ, टैक्सीम ख्00, आग्मेंटीन म्ख्भ्, टैरिबिड ख्00, कोलेस्ट्राल की स्टोरवास क्0, डायबिटीज इंजेक्शन हान मिक्स्टाड, इमेरिल टू, एल्बुमिन ख्0, एंटी रैबीज, टीबी की एकेटी फोर, एकेटी थ्री, आरसीनेक्स आदि शामिल हैं। इसके अलावा अन्य दवाओं की लिस्ट काफी लंबी है।

- हाल ही में सरकार की ओर से जीवन रक्षक दवाओं के संबंध में निर्देश आए हैं। जिसके तहत क्08 दवाओं को ड्रग प्राइज कंट्रोल अथारिटी ने अपने नियंत्रण से बाहर कर दिया है। आने वाले समय में इन दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं। अगर कंपनियां चाहें तो इनके रेट स्थिर भी रख सकती है, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी।

एके चौरसिया, ड्रग इंस्पेक्टर, इलाहाबाद