कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। आयुष मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, गिलोय को आयुर्वेद में सबसे अच्छी कायाकल्प जड़ी बूटी कहा गया है। गिलोय पर विभिन्न रिसर्च से पता चलता है कि इसके इस्तेमाल से कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि, किसी दवा का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसका उपयोग कैसे किया जा रहा है। किसी भी दवा की खुराक की मात्रा महत्वपूर्ण होती है, जो उसी सुरक्षा को निर्धारित करती है। एक रिसर्च में कहा गया है कि गिलोय पाउडर की निश्चित मात्रा से फ्रूट फ्लाई की लाइफ बढ़ी जबकि ज्यादा मात्रा देने पर फ्रूट फ्लाई की लाइफ कम हो गई। किसी औषधि का लाभ लेने के लिये एक अच्छे डॉक्टर की सलाह पर निर्धारित खुराक लेनी चाहिये। आयुर्वेद में गिलाेय किसी खजाने से कम नहीं है क्योंकि इसके इस्तेमाल से कई रोगों से छुटकारा मिलता है।
कैंसर सहित कई बीमारियों के उपचार में गिलोय रामबाण
आयुष मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि गिलोय का यूज एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, कार्डियोवस्कुलर प्रोटेक्टिव, न्यूरोप्रोटेक्टिव, ऑस्टियोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव, एंटी-चिंता, एडाप्टोजेनिक, एनाल्जेसिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-पायरेटिक के रूप में किया जाता है। वहीं इसका इस्तेमाल डायरिया, अल्सर और कैंसर को मात देने के लिये किया जाता है। साथ ही पाचन संबंधी समस्या और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर भी इसका यूज किया जाता है। इतना ही नहीं कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी को मात देने के लिये भी इसका उपयोग किया जा रहा है। इसकी इन सभी खूबियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि ये पूरी तरह से सुरक्षित है और यह हानिकारक नहीं है।