भारतीय नौसेना के लिए आज का दिन प्रमुख है. आज भारतीय रक्षा बेड़े में भारत का सबसे बड़ा युद्धपोत वाहन शामिल हो गया.


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रक्षा बेड़े को भारत को समर्पित किया है. 2004 में रूस से हुए एक रक्षा सौदे के तहत भारत को रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपुर्ण उपलब्धि हासिल करने हेतु एक नींव रखी गयी और आज 10 साल के बाद इस नींव ने एक सुन्दर आकृति का रूप ले लिया जो भारतीय रक्षा तंत्र में एक प्रमुख योगदान देगा.आईएनएस विक्रमादित्य प्रमुख खूबियां:--भारतीय नौसेना पोत विक्रमादित्य या आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का एक युद्धपोत है. विक्रमादित्य का वजन 45300 टन, लम्बाई 284 मीटर  और ऊंचाई 60 हैं. यह भारतीय नौसेना पोत में विराट के बाद दूसरा वायुयान वाहक पोत है. -आईएनएस विक्रमादित्य रूस से 2.35 अरब डॉलर यानी करीब करीब 14 हजार करोड़ में खरीदा गया है.


-रूस से खरीदे जाने से पहले यह सोवियत संघ और रसिया फेडेरशन के नेवल सर्विसेज में 'बाकू' और 'एडमिरल गोर्शकोव' के नामों से अपनी सेवा दे चुका है.

-सोवियत नौसेना में यह 1987 में शामिल किया गया था और 1996 में इसे सेवा से हटा लिया गया. कारण यह बताया गया कि इसके रखरखाव में ज्यादा खर्च हो रहा है. -284 मीटर लंबा यह युद्ध पोत विमान इतना चौड़ा है कि इसपर फुटबॉल के तीन मैदान बनाए जा सकते हैं.

-करीब 20 फ़्लोर ऊंचे इस एयरक्राफ्ट करियर में कुल 22 डेक हैं इस पर 1600 से ज्यादा सेमाएं तैनात रहते हैं और इस तरह यह एक तैरता हुआ शहर जैसा है.-इस युद्धपोत पर तैनात 30 फाईटर प्लेन, छह पनडुब्बी-निरोधी और टोही हेलिकॉप्टर लगभग 500 किलोमीटर का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं.-एक बार समुद्र में जाने के बाद यह 45 दिनों तक बिना किसी जरूरत के पानी के अंदर चहलकदमी कर सकता है.- बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए 18 मेगावॉट बिजली की सप्लाई करने वाले जेनरेटर हैं. समुद्र के पानी को साफ कर प्रतिदिन 400 टन पीने लायक पानी बनाने वाला रिवर्स आस्मोसिस प्लांट भी इसमें लगा हु है.-इस युद्ध पोत विमान पर हर महीने करीब 20000 लीटर दूध, एक लाख अंडे तथा 15 टन से ज्यादा चावल की खपत हो जाती है.-कपड़े धोने की मशीनों से लेकर खाना बनाने और सामान्य क्रियाकलाप की सारी सुविधाएं इस पोत  मौजूद हैं. यह आर्कटिक जैसे बर्फीले इलाके में भी सक्रिय रह सकता है.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari