-जौनसार बावर के त्यूणी में चट्टान धंसने से दबे मजदूर

-एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत, सभी मजदूर नेपाल के थे

-कच्चे डेरों में सो रहे थे मजदूर, चट्टान धंसकर डेरों पर गिरी

देहरादून

देहरादून जिले की सीमांत त्यूणी तहसील के हनोल इलाके में मौसम का कहर इस कदर बरपा कि दस मजदूरों की जान चली गई। रविवार देर रात तेज आंधी तूफान इन मजदूरों के लिए काल बनकर आया। चट्टान धंसने से नेपाली मूल के दस मजदूर जिंदा दफन हो गए। मरने वालों में एक ही परिवार के पांच लोग शामिल हैं। इलाके में आंधी तूफान ने करीब दो घंटे तक तबाही मचाई। तूफान के चलते चीड़ का भारी भरकम पेड़ चट्टान पर गिरा जिससे चट्टान खिसकर सड़क के किनारे मजदूरों के दो डेरों पर गिर गई। इससे वहां रह रहे 16 मजदूर चट्टान के नीचे दब गए। इनमें 10 की मौत हो गई, जबकि चार गंभीर रूप से घायल हो गए। दो अन्य सुरक्षित हैं। मृतकों में एक आठ साल का बच्चा, दो युवतियां, दो युवक, तीन महिलाएं और दो पुरुष शामिल हैं।

8 घंटे चला रेस्क्यू अपरेशन

चट्टान के नीचे दबे मजदूरों को निकालने के लिए रविवार देर रात से सोमवार सुबह तक करीब आठ घंटे रेस्क्यू आपरेशन चला। स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों की मदद से चट्टान को तोड़कर शवों को किसी तरह बाहर निकाला। सड़क का काम कर रहे थे मजदूर ये सभी मजदूर नेपाल से यहां सड़क के डामरीकरण के लिए आए थे।

पूरा परिवार जिंदा दफन

हादसे में नेपाली मूल के मजदूर दीपक का पूरा परिवार इस हादसे में जिंदा दफन हो गया। दीपक, उसकी पत्नी कुमारी देवी, बेटा भरत बहादुर और दो बेटियां सरजना और तारा की मौत हो गई। ये परिवार नेपाल के सालियान जिले के सोइमतवास गांव से यहां आया था। इस घटना में जिन दूसरे मजदूरों की मौत हुई है उनके नाम विनीता पत्नी जनक, जीवन व बबींद्र पुत्र जनक, धनबहादुर व उसकी पत्नी धनकुमारी शामिल हैं।

तूफान ने मचाई तबाही

रविवार देर रात आए तूफान से हनोल-चातरा पंचायत में दर्जनों मकानों की छतें उड़ गई। क्षेत्र में विद्युत लाइनें टूटने और खंभे धराशायी होने से इलाके में बिजली गुल है। रविवार आधी रात करीब बारह बजे त्यूणी तहसील के हनोल-चातरा पंचायत क्षेत्र में लोगों की सांसें उस वक्त थम सी गई। रात करीब एक बजे तूफान की रफ्तार कुछ कम होने पर लोग बाहर निकले। ग्रामीणों ने रात ही एसडीएम प्रेम लाल और तहसीलदार डीडी वर्मा को मजदूरों के चट्टान के नीचे दबे होने की सूचना दे दी थी। कुछ देर बाद ही राजस्व पुलिस और ग्रामीण रेस्क्यू में जुट गए। चट्टान हटाने के लिए रात करीब तीन बजे रात जेसीबी मंगवाई गई, लेकिन चट्टान नहीं हटाई जा सकी। सोमवार तड़के सुबह प्रशासन ने कंप्रेशर से चट्टान को तोड़कर आठ घंटे बाद उसके नीचे दबे शवों बाहर निकाला।

Posted By: Inextlive