मोदी और नीतीश को दिलाई जीत, अब किसकी बारी? प्रशांत किशोर के बारे में 10 बातें
कौन हैं प्रशांत किशोर37 साल के प्रशांत किशोर यूनाइटेड नेशन्स (UN) में हेल्थ वर्कर रह चुके हैं। 2011 में भारत लौटने पर उन्होंने राजनीतिक पार्टियों के इलेक्शन कैंपेन और स्ट्रेटजी बनाने का काम अपने हाथ में लिया। बताते हैं कि वे बिहार बार्डर से सटे यूपी के बलिया जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बीजेपी और नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर गुजरात में कैंपेन शुरु किया। 2012 में उन्होंने गुजरात असेंबली इलेक्शन में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कैंपेन की कमान अपने हाथों में ली। इसके बाद लोस चुनाव 2015 में भी उन्होंने मोदी को पीएम की कुर्सी दिलवाई। वहीं हाल ही में बिहार में नीतीश कुमार के सिर जीत का सेहरा बांध दिया। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में प्रशांत किशोर जीत की गारंटी बन चुके हैं।
(5) प्रशांत ने लोस चुनाव कैंपेन में नरेंद्र मोदी की ब्रांडिंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 'चाय पे चर्चा' प्रशांत किशोर का ही आइडिया था।(6) बिहार चुनावों से पहले अमित शाह के कहने पर नरेंद्र मोदी ने प्रशांत किशोर की फर्म IPAC को छोड़ दिया था। जिसका परिणाम उन्हें हारकर भुगतना पड़ा।
(7) नरेंद्र मोदी द्वारा छोड़े जाने के बाद नीतीश ने प्रशांत से कांन्टैक्ट किया और उन्हें 2015 असेंबली इलेक्शन की कमान सौंप दी।(8) प्रशांत और उनकी टीम मार्च 2015 में ही बिहार आ गई थी। जेडीयू का 'हर घर दस्तक' कैंपेन शुरु करके प्रशांत ने नीतीश की ब्रांडिंग करना शुरु कर दिया था। यही नहीं नीतीश के टि्वटर और फेसबुक एकाउंट की जिम्मेदारी भी प्रशांत ने ही संभाली थी।(9) प्रशांत की टीम में कुल 300 ग्रेजुएट्स हैं, जोकि IIT, IIM, NLU जैसे संस्थानों से पढ़े हैं।(10) प्रशांत किशोर की कंपनी IPAC सिर्फ भारत में ही नहीं तन्जानिया में भी इलेक्शन कैंपेनिंग करती है। प्रशांत ने Chama-Cha Manpinduzi (CCM) पार्टी को अपनी सर्विस दी है।inextlive from Spark-Bites Desk