मध्‍यप्रदेश के चंबल शिवुपरी मुरैना चित्रकूट रीवा के इलाकों में कई दशकों तक डाकुओं का खौफ रहा है। बताया जाता है ये पहले दस्‍यु बागी कहलाते थे और इनका काम सिर्फ डकैती करना था। धीरे-धीरे पैटर्न बदलता गया और इन डाकुओं ने अपहरण का काम शुरु कर दिया। ये राजनीति और जमीन झगड़ों के निपटारे में लग गए। तो आइए बात करते हैं डकैत मान सिंह ददुआ और पानसिंह तोमर जैसे 10 बड़े नाम हैं जिन्‍होंने पूरे क्षेत्र में आतंक फैलाया।


2. पान सिंह तोमर :- डाकुओं की इस लिस्ट में पान सिंह तोमर का नाम सबसे ज्यादा चर्चित है। पान सिंह तोमर पर एक फिल्म भी बन चुकी है। बताते हैं कि डकैत बनने से पहले पान सिंह सेना में सूबेदार के पद पर तैनात थे। वह सात सालों तक लंबी बाधा दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन भी रहा। तोमर ने जमीनी विवाद के बाद अपने रिश्तेदार बाबू सिंह की हत्या कर दी और खुद को बागी घोषित कर दिया। हालांकि बाद में 60 सदस्यीय पुलिस दल के साथ हुई मुठभेड़ में 10 साथियों के साथ मारा गया।4. मान सिंह :-
मान सिंह ने साल 1935 से लेकर 1955 के बीच तकरीबन 1,112 डकैती को अंजाम दिया था। उसने 182 हत्यांए की जिसमें 32 पुलिस अधिकारी भी शामिल थे। साल 1955 में सेना के जवानों ने मान सिंह और उसके पुत्र सूबेदार सिंह की गोली मारकर हत्या की दी थी।6. माथो सिंह :-


1960-70 के दशक में चंबल के बीहड़ों में इसका आतंक चलता था। 23 मर्डर 500 किडनैपिंग करने वाले इस डकैत ने 500 साथियों के साथ जयप्रकाश नारायण के सामने सरेंडर किया था। माथो सिंह खुद को बागी मानता था। वह ज्यादातर अमीरों के घर पर डैकती डालता था। 8. मोहर सिंह :- मोहर सिंह को दतिया जिले में अपहरण के लिए 2006 में पांच साल के लिए जेल भेजा गया था जहां से वह 2012 में रिहा हुआ। जेल से छूटते ही मोहर सिंह ने अपनी पत्नी और बेटी की हत्या कर लाश को सिंध नदी में फेंक दिया था। 16 साल तक बीहड़ में रहे डाकू मोहर सिंह पर 550 मुकदमे थे जिनमें 400 हत्याओं का आरोप था। जेल में 8 साल सजा काट चुके पूर्व दस्यु मोहर सिंह फिलहाल सामाजिक कार्यों से जुड़ा हुआ है। 10. पुतली बाई :- चंबल में पुतली बाई का नाम पहली महिला डकैत के रूप में दर्ज है। खूबसूरत पुतलीबाई पर सुल्ताना डकैत की नजर पड़ी। पुतलीबाई अपना घर-बार छोड़कर सुल्ताना के साथ बीहड़ों में रहने लगी। सुल्ताना के मारे जाने के बाद पुतलीबाई गिरोह की सरदार बनी। 1950 से 1956 तक बीहड़ों में उसका जबरदस्त आतंक रहा। पुतलीबाई 23 जनवरी 1956 को शिवपुरी के जंगलो में पुलिस मुठभेड़ में मारी गई।inextlive from Spark-Bites Desk

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari