रांची: रुपये डबल होने के चक्कर में मनी दांव पर लगाने वाले हजारों लोग बुरे फंस गए हैं। कंपनी इनका करोड़ों रुपये डकार गई। बिना एकरारनामा किये ही रुपये लगा दिये। यही इनकी फंसाहट का कारण बन गया है। ऐसे में अब पछताये होत क्या जब चिडि़या चुग गई खेत वाली इनकी हालत हो गई है। मामला राजधानी में बाइक बोट के नाम पर की गई 100 करोड़ से ऊपर की जालसाजी से जुड़ा है। इस जालसाजी को साबित करने के लिए रुपये लगाने वालों के पास कोई ठोस सबूत ही नहीं है। इसलिए यह मामला प्रूफलेस ही होता दिखाई दे रहा है।

भरोसे के दम पर लगा दी मनी

जी हां, बाइक बोट की जालसाजी के शिकार हुए 15 हजार से भी अधिक लोगों के पास कंपनी के साथ कोई एकरारनामा किए जाने का प्रमाण ही नहीं है। हालांकि कुछ लोगों ने सतर्कता दिखाते हुए दिल्ली जाकर कंपनी के साथ एक करारनामा किया लेकिन इस जालसाजी में 95 परसेंट से अधिक ऐसे लोग फंसे हैं जो केवल भरोसे के दम पर अपना रुपया गंवाने के जिम्मेदार बन गए हैं। इन लोगों के पास केवल फंड ट्रांसफर किए जाने के प्रमाण हैं जिनसे यह पता तो चलता है कि इन लोगों के द्वारा पर हेड 62 हजार 100 रुपये बाइक बोट के खाते में भेजे गए हैं। लेकिन यह रुपये क्यों भेजे गए, किस मद में भेजे गए, क्या टर्म एंड कंडीशन रहे इससे संबंधित कोई दस्तावेज इनके पास नहीं है।

कई आर्मी अफसर के पैसे दांव पर

भारतीय सेना का नाम सम्मान के साथ जुड़ा है। देशवासियों के लिए यह लोग दिन रात अपनी जान दांव पर लगाकर देशसेवा करते हैं। लेकिन इन अधिकारियों के रुपये भी दांव पर लग गये हैं। सेना में कार्यरत 300 से अधिक लोगों ने एक एक करके बाइक बोट को 62 हजार 100 रुपये खाते में ट्रांसफर किए। इनमें रांची दीपाटोली सैन्य कैंप के कई अधिकारी भी शामिल हैं।

पैसे लगाए लोगों में कई हुए ट्रांसफर

रांची दीपाटोली स्थित सैन्य कैंप में पदस्थ कई लोगों ने पूर्व सेना कर्मी अजय विश्वकर्मा को बाइक बोट में रुपये ट्रांसफर करने के लिए दिए। इन लोगों के रेफरेंस से देश के कई दूसरे राज्यों में रहने वाले सेना में कार्यरत अधिकारियों और कर्मियों ने भी रुपये लगाए हैं। इन लोगों का तबादला भी दूसरे राज्यों मे हो गया है और यह लोग लगातार अजय विश्वकर्मा से संपर्क कर रुपयों की जानकार हासिल कर रहे हैं।

अधिकारी बच रहे विवादों से

बता दें कि शहर के कई सरकारी पदाधिकारी और व्यवसायियों ने भी बाइक बोट में रुपयों का निवेश किया है। लेकिन विवाद बढ़ जाने के बाद यह लोग सामने आने से कतरा रहे हैं। कई राजनैतिक पार्टियों से संबंधित लोग, डॉक्टर, इंजीनियर जैसे पदों पर काम करने वाले लोग भी रुपये डबल होने के चक्कर में पड़कर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा चुके हैं।

क्या कहती है पुलिस

मामले में एक सीनियर पुलिस पदाधिकारी का कहना है कि इसमें कई पेंच हैं। आखिरकार इसकी जांच कैसे की जा सकेगी। कई लोगों ने कैश रुपये देकर एक व्यक्ति के खाते से रुपये ट्रांसफर कर दिए। अब इतनी बड़ी राशि का ट्रांसफर बिना किसी रजिस्टर्ड एकरारनामे के किए जाने से मामले की जांच कैसे होगी। कंपनी को पैसे क्यों दिए गए और प्रॉफिट लॉस का क्या कैलकुलेशन था यह सारे सवाल खड़े होंगे।

क्या कहता है विक्टिम

पूर्व सैन्यकर्मी विक्टिम अजय विश्वकर्मा का कहना है कि मैंने सदर थाने में लिखित शिकायत कर दी है। मेरे खाते से करीब 60 लाख से ऊपर का ट्रांजेक्शन हुआ है। पुलिस ने मुझसे मेरे बैंक खाते की डिटेल और उसमें रुपये भेजने वाले लोगों की डिटेल देने को कहा है। मैं सब अरेंज करने के बाद जल्द ही पुलिस को सारे कागजात सौप दूंगा।

Posted By: Inextlive