नई जिदंगी की उम्मीद लेकर घर लौटे चौथी
-राज्यपाल की माफी पर जेल से हुई रिहाई
-105 साल के बंदी चौथी यादव जेल से रिहा GORAKHPUR: उम्र के अंतिम पड़ाव में 105 साल के चौथी यादव गुरुवार को सलाखों की कैद से आजाद हुए। जेल कैंपस से बाहर आने पर अपने घरवालों को देखकर चौथी की आंखें भर आई। कभी वह जेल की ओर निहारते तो कभी अपनी बुजुर्ग पत्नी और बेटे को देखते रहे। जेल के बाहर उनको छोड़ने आए बंदी रक्षक भी भावुक हो उठे। विधानसभा चुनाव के पहले राज्यपाल ने चौथी की समय पूर्व रिहाई को मंजूरी दे थी। लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने से उनकी रिहाई में पेंच फंस गया था। कानूनी औपचारिकता पूरी होने पर गुरुवार को जेल प्रशासन ने चौथी को घर भेज दिया। घर पहुंचे चौथी से मिलने उनके गांव के लोग भी पहुंचे। आजीवन कारावास काट रहे थे चौथीबेलीपार एरिया के मलाव निवासी चौथी यादव को हत्या के मामले में 2003 में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। वाराणसी जेल में बंद चौथी की रिहाई के लिए उनके परिजन दौड़भाग करते रहे। उनके रिश्तेदार गौतम यादव ने राज्यपाल से मिलकर रिहाई की गुहार लगाई। राज्यपाल ने बुजुर्ग कैदी की रिहाई को मंजूरी दे दी। जेल प्रशासन को उनकी रिहाई का आदेश एक जनवरी को मिल गया। तब उनको वाराणसी से गोरखपुर जेल शिफ्ट किया गया। लेकिन चुनाव आचार संहिता और कानूनी औपचारिकता पूरी करने में विलंब हुआ। दोबारा 18 मार्च को चौथी की रिहाई का आदेश जारी हुआ। परिजनों ने बताया कि चौथी की रिश्तेदारी उरुवा में है। 1979 में उनकी रिश्तेदारी में हत्या हो गई। इस मामले में पीडि़त परिवार ने चौथी को भी मुल्जिम बना दिया। चौथी के साथ-साथ तीन अन्य लोग भी आरोपित किए गए। हाईकोट ने चौथी को राहत दे दी। लेकिन पीडि़त परिवार सुप्रीम कोटर्1 चला गया।
वर्जन चौथी की रिहाई का आदेश पहले आ चुका था। कानूनी औपचारिकता पूरी होने पर गुरुवार को उनको रिहा किया गया। परिजन उनको अपने साथ ले गए। एसके शर्मा, वरिष्ठ जेल अधीक्षक