35 साल पहले राजस्थान में राजा मान सिंह की पुलिस कर्मियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। तीन दशक से ज्यादा समय से चल रहे केस में अब 11 पुलिसकर्मियों को दोषी पाया गया। इन्हें आजवीन कारावास की सजा सुना दी गई।

नई दिल्ली/मथुरा (आईएएनएस/पीटीआई)। उत्तर प्रदेश के मथुरा की एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को 1985 में शाही राजा मान सिंह की हत्या के एक मामले में 11 पुलिसकर्मियों को को उम्रकैद की सजा सुनाई। दोषी पुलिस वालों में एक तत्कालीन डीएसपी भी हैं। न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर ने उन्हें हत्या के दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद आजीवन कारावास की सजा का ऐलान किया। हालांकि, इस केस में तीन पुलिसकर्मी बरी हो गए जबकि सालों से चल रहे मुकदमे के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

35 साल बाद आया फैसला
दोषी पुलिसकर्मियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 148 (दंगाई) और 149 (गैरकानूनी असेंबली के प्रत्येक सदस्य के खिलाफ अपराध का दोषी पाया गया) के तहत दोषी पाया गया। इन पुलिस वालों ने साल 1985 में राजस्थान की एक रियासत भरतपुर के तत्कालीन-प्रधान प्रमुख मान सिंह की हत्या कर दी थी। जिसके बाद पुलिसकर्मियों पर 35 सालों से केस चल रहा था। इस मामले में कुल 1,700 से अधिक सुनवाई हुईं।

सीएम के हेलिकाॅप्टर पर मारी थी टक्कर
राजा मान सिंह की हत्या तब की गई जब उन्होंने अपने दो साथियों के साथ मिलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिव चरण माथुर के हेलिकाॅप्टर में अपनी जीप लड़ा दी थी। मान सिंह उस वक्त निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे। उसी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह को चुनाव लड़वाया और उनकी रैली में माथुर संबोधित करने वाले थे। इस बात से मान सिंह नाराज हो गए और उन्होंने हेलीपैड पर खड़े सीएम के हेलिकाॅप्टर को अपनी जीप से टक्कर मार दी।

पुलिस ने मुठभेड़ में मान सिंह को मार दिया
इस घटना के एक दिन बाद, उन्हें दो अन्य लोगों के साथ पुलिस गोलीबारी में गोली मार दी गई थी, जिसमें राजा की मौत हो गई। ये खबर सामने आते ही राजस्थान में एक राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया जिसके कारण राजस्थान के मुख्यमंत्री माथुर को अपना इस्तीफा तक देना पड़ा। मान सिंह की हत्या के बाद राजस्थान के जयपुर की एक अदालत में सुनवाई शुरू हुई। जिसे बाद में दिसंबर 1990 में मथुरा सेशन कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। मान सिंह की बेटी कृष्णेंद्र कौर द्वारा याचिका दायर करने के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्थानांतरित किया गया था ।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari