- एलडीए में लगी लोक अदालत में ज्यादातर शिकायतें कब्जा न मिलने की

- अधिकारियों की ओर से ठोस आश्वासन न मिलने से शिकायतकर्ता निराश

LUCKNOW: आवंटियों को उम्मीद थी कि थर्सडे को एलडीए में आयोजित होने वाली लोक अदालत में उनकी शिकायतों का समाधान किया जाएगा। इसी उम्मीद के साथ आवंटी अपनी-अपनी शिकायतें लेकर अधिकारियों के पास पहुंचे, लेकिन ठोस आश्वासन न मिलने से एक बार फिर से उन्हें निराश होना पड़ा। लोक अदालत में ज्यादातर शिकायतें कब्जा न मिलने से जुड़ी रहीं। जबकि एक मामला नेशनल अवॉर्ड पा चुकी महिला का भी सामने आया। वे भी सालों से अपना हक पाने के लिए एलडीए के चक्कर काट रही हैं, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है।

पहला केस

11 सालों से काट रहे चक्कर

ठाकुरगंज निवासी नसीम बानो बेटे मो। शानू के साथ आई थीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 1988 में उन्हें चिकन एंब्रॉडयरी में नेशनल अवार्ड मिला है। इसी वर्ष उन्होंने नेपियर रोड योजना में 2400 स्क्वॉयर फीट प्लॉट आवंटित किया गया था। उनकी ओर से करीब 80 हजार रुपये जमा भी कराया गया था। आवंटन के बाद पता चला कि उक्त प्लॉट पर किसी ने अतिक्रमण कर रखा है। जिसके बाद उन्होंने करीब 10 साल तक कोर्ट में केस लड़ा और अंतत: उन्हें कुल 2400 में से 1400 स्क्वॉयर फीट ही जमीन मिली। इसके बाद उन्होंने एलडीए के अधिकारियों से कई बार शेष जमीन पर काबिज अतिक्रमण हटाने की मांग की। अतिक्रमण हटाने के आदेश तो किए गए, लेकिन कार्रवाई शून्य रही। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 से लगातार एलडीए के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

दूसरा केस

मां के नाम खरीदा था प्लॉट

दिल्ली के वेस्ट पटेल नगर निवासी व्यवसायी चंद्रेश खन्ना भी न्याय की उम्मीद लेकर आए थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में गोमतीनगर विस्तार स्कीम के तहत अपनी मां ज्योति खन्ना के नाम पर एक प्लॉट खरीदा था। करीब छह साल बाद 2008 में प्लॉट की रजिस्ट्री भी कर दी गई, लेकिन अभी तक कब्जा नहीं मिला है। कई बार प्राधिकरण के अधिकारियों के सामने अपनी समस्या रखी, लेकिन किसी ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने बताया कि हर बार शिकायत पत्र ले लिया जाता है और आश्वासन दे दिया जाता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। इस बार भी सिर्फ उन्हें आश्वासन दिया गया है और कहा गया है कि 21 जनवरी के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।

तीसरा केस

33 साल से कर रहे इंतजार

जानकीपुरम निवासी राजू तिवारी ने बताया कि उनके पिता कृष्ण कुमार तिवारी ने वर्ष 1985 में जानकीपुरम में एक भूखंड लिया था। वर्ष 2001 में करीब एक लाख रुपये जमा भी कर दिया। जिसके बाद रजिस्ट्री भी हुई और नक्शा पास होने के साथ-साथ कब्जा भी मिल गया। उन्होंने बताया कि आर्थिक हालातों के कारण उक्त स्थान पर कोई निर्माण नहीं कराया गया। वर्ष 2003 में एलडीए ने उक्त भूखंड एक अन्य व्यक्ति के नाम पर आवंटित कर दिया। वर्ष 2006 में करीब 189 भूखंडों को लेकर सीबीआई जांच हुई, जिसमें उनका भूखंड भी शामिल था। जांच में साफ हो गया कि उनका भूखंड गलत तरीके से दूसरे को आवंटित किया गया है। अभी मामला कोर्ट में है। राजू की मांग है कि जब यह साफ हो गया है कि उनके भूखंड को गलत तरीके से आवंटित किया गया था तो अब एलडीए उन्हें उस भूखंड पर निर्माण कराने दे।

चौथा केस

रजिस्ट्री के लिए भटक रहे

इंदिरा नगर निवासी मुन्ना राव ने बताया कि गोमतीनगर विस्तार योजना में 28 फरवरी 2005 में भूखंड आवंटित किया गया था। उनकी ओर से करीब 4 लाख 62 हजार रुपये जमा भी कराए जा चुके हैं, लेकिन आलम यह है कि अभी तक रजिस्ट्री नहीं हुई है। कई बार लोक अदालत में आए, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है।

पांचवां केस

विकास नहीं हो रहा तो समायोजित करें

विनम्रखंड, गोमतीनगर निवासी रंजन प्रसाद ने बताया कि गोमतीनगर विस्तार प्लाट संख्या 5भ्/316 की रजिस्ट्री कराने के लिए वह 12 सालों से भटक रहे हैं। 28 मार्च 2005 को पूर्ण धनराशि जमा करने के बाद भी भूखंड की रजिस्ट्री नहीं की गई। उन्होंने बताया कि एलडीए से उन्हें 21 सितंबर 2017 को एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसके माध्यम से अवगत कराया गया था कि स्थलीय रिपोर्ट के अनुसार पुरानी सड़क या श्मशान आदि होने के कारण विकास कार्य संभव नहीं हो पा रहा है। चयनित सूची के क्रमांक 34 पर उनका नाम है, कब्जा न दिए जाने की दशा में गोमतीनगर विस्तार योजना के अन्य सेक्टरों में समान क्षेत्रफल का भूखंड उनके पक्ष में समायोजित कर दिया जाएगा। रंजन का कहना है कि यदि विकास कार्य कराया जाना संभव नहीं है तो अभी तक गोमतीनगर विस्तार योजना के सेक्टर 5 या किसी अन्य सेक्टर में समान क्षेत्रफल का कोई अन्य भूखंड समायोजित क्यों नहीं किया गया। दोषियों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उनकी मांग है कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए।

Posted By: Inextlive