आम लोगों की रसोई में सबसे कीमती होने के साथ-साथ सबसे अहम स्‍थान रखती है LPG. यहां इसको लेकर आपको यह सुनकर जरूर हैरत होने वाली है कि अभी तक देश में इस साल एक करोड़ से ज्‍यादा फर्जी एलपीजी कनेक्‍शनों को पकड़ा जा चुका है. इसको देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय एलपीजी सब्सिडी के नकद भुगतान की योजना यानी डीबीटीएल को पूरे देश में लागू करने के लिए बेसब्री के साथ आतुर है. ऐसा इसलिए ताकि इसके चलते इस फर्जी आंकड़ों पर रोक लग सके.

क्या है ताजा आंकलन
ताजा आंकलन पर गौर करें तो देश में 13 मिलयन फर्जी गैस कनेक्शन मौजूद हैं. ये भी कह सकते हैं कि 13 करोड़ फर्जी गैस उपभोक्ता हैं. सूत्रों से मिली खबर पर विश्वास करें तो देश में इस समय फर्जीवाड़ा का जबरदस्त बोल-बाला है. यहां करीब 13 करोड़ फर्जी गैस उपभोक्ता हैं. सिलेंडरों को लेकर बता दें कि सरकार एक परिवार को साल में सब्सिडी वाले 12 सिलेंडर मुहैया कराती है, लेकिन ऐसे में भी कई परिवार ऐसे हैं जो एक से ज्यादा कनेक्शन लेकर सब्सिडी का फायदा उठा रहे हैं. अब खबर मिलने के बाद ऐसे कनेक्शनों को पता लगाने के लिए गैस वितरण कंपनियों ने ग्राहकों से आधार कार्ड और बैंक खातों जैसी जानकारियां जुटानी भी शुरू कर दी हैं. इसके बावजूद इन फर्जी कनेक्शन और उपभोक्ताओं की लिस्ट अभी भी काफी लंबी है.
ऐसे हैं कुछ खास आंकड़े
कुछ खास आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में दक्षिण भारत व संघीय राज्यों को मिलाकर 176 मिलयन गैस कनेक्शन रजिस्टर्ड हैं. इसमें 7 प्रतिशत कनेक्शन गलत हैं. इस फर्जीवाड़े में लोग एक ही नाम से चार-चार कनेक्शन चलाते हैं. सिलेंडरों को लेकर इस तरह के फर्जीवाड़े में यूपी नंबर वन पर काबिज है. यहां 1.87 मिलयन लोगों के नाम पर LPG कनेक्शन हैं. इसमें 12-13 प्रतिशत लोगों के नाम पर गलत कनेक्शन है.
क्या है पेट्रोलियम मंत्रालय का अनुमान
यह आंकड़े भारत पेट्रोल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोल कार्पोरेशन और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन ने पेश किये हैं. इन आकड़ों के मुताबिक लोग धड़ल्ले के साथ ब्लैक मार्केटिंग करते हैं. इससे लोग दूनी कीमत पर सिलेंडर बेचते हैं. इस तरह के फर्जीवाड़े में लोग एक ही नाम पर चार कनेक्शन रख रहे हैं. वैसे पेट्रोलियम मंत्रालय का यह भी अनुमान है कि देश में आधे से ज्यादा फर्जी या मल्टीपल कनेक्शनों की पहचान अब की जा चुकी है. इन्हें बंद करने की कवायद भी जोरों पर चल रही है. नए कनेक्शन लेने पर अब उपभोक्ता की हर तरह की जानकारियां ली जाती हैं. इससे भी फर्जी कनेक्शनों का पता लगाने में अब काफी मदद मिलने वाली है.

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Posted By: Ruchi D Sharma