आज पूरे देशभर में सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की 140वीं जयंती धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। सरदार पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री रहे हैं। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने की वजह से सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक अत्‍यंत गौरवपूर्ण स्थान पाया। सरदार पटेल वर्ण-भेद तथा वर्ग-भेद के कट्टर विरोधी थे। आइए जानें सरदार पटेल के बारे में चंद ऐसी बातें जो आपके लिए होंगी बेहद दिलचस्‍प।

1 . सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नड़ियाद में हुआ। वे खेड़ा जिले के कारमसद में रहने वाले झावेर भाई और लाडबा पटेल की चौथी संतान थे। 1897 में 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।
2 . अन्याय के विरुद्ध विद्रोह उनका सबसे बड़ा गुण था। नड़ियाद में उनके स्कूल के अध्यापक पुस्तकों का व्यापार करते थे और  छात्रों को बाध्य करते थे कि पुस्तकें बाहर से न खरीदकर उन्हीं से खरीदें। वल्लभभाई ने इसका विरोध किया और छात्रों को अध्यापकों से पुस्तकें न खरीदने के लिए प्रेरित किया। परिणामस्वरूप अध्यापकों और विद्यार्थियों में संघर्ष छिड़ गया। पांच छह दिन स्कूल बंद रहा। अंत में अध्यापकों की ओर से पुस्तकें बेचने की प्रथा बंद हुई।
3 . सरदार पटेल वकील बनना चाहते थे और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था लेकिन उनके पास इतने भी आर्थिक साधन नहीं थे कि वह एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें। उन दिनों एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से पढ़ाई कर वकालत की परीक्षा में बैठ सकते थे। ऐसे में सरदार पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तकें उधार ली और घर पर पढ़ाई शुरू कर दी।
4 . वल्लभ भाई की शादी झबेरबा से हुई। पटेल सिर्फ 33 साल के थे जब उनकी पत्नी का देहांत हो गया।
5 . सरदार पटेल 1913 में वकालत करके भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वह लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के कहने पर पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमें भी जीत गए।  
6 . सरदार पटेल गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे। 1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा। किसानों ने करों से राहत की मांग की, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। गांधीजी ने किसानों का मुद्दा उठाया पर वो अपना पूरा समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की अगुवाई कर सके। इस समय सरदार पटेल स्वेछा से आगे आये और संघर्ष का नेतृत्व किया।
7 . यही नहीं, सरदार पटेल के पास खुद का मकान भी नहीं था। वे अहमदाबाद में किराए एक के मकान में रहते थे।
8 . इंग्लैंड में वकालत पढ़ने के बाद भी उनका रुख पैसा कमाने की तरफ नहीं था। उनका जब निधन हुआ, तब उनके बैंक खाते में सिर्फ 260 रुपये मौजूद थे।
9 . सरदार पटेल के निधन के 41 वर्ष बाद 1991 में भारत के सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान भारत रत्न से उन्हें नवाजा गया। यह अवार्ड उनके पौत्र विपिनभाई पटेल ने स्वीकार किया।
10 . सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से कई संस्थान शुरू कराए गए। इनमें से मेरठ का कृषि एवं प्रौद्योगिकी, सरदार वल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय, सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूरत, सरदार पटेल विश्वविद्यालय गुजरात, प्रौद्योगिकी सरदार पटेल संस्थान, वसाड, सरदार पटेल विद्यालय नई दिल्ली आदि।

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Posted By: Ruchi D Sharma