बीते माह हुई आवश्यकता से कुछ अधिक बारिश ने जहां बाकी क्षेत्रों में लोगों को राहत दी वहीं कपास की फसल पर उल्टो असर डाला है और उसके करीब 15 प्रतिशत तक घटने की आशंका है।


हालाकि शुरूआत में हुई बेहतर बारिश के कारण कपास की बुवाई बेहतर तरीके से शुरू हुई लेकिन वक्त बीतने के बात आवश्यकता से अधिक बारिश ने इसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है। सूत उत्पादकों का मानना है कि इस वजह से करीब 15 फीसद तक कपास की फसल में गिरावट आ सकती है। अब आने वाले समय में मानसून कमजोर भी होने की आशंका जताई जा रही है। इसकी सबसे ज्यादा मार दलहन, मोटे अनाज और कपास की बुआई पर पड़ी है।देश में दलहन की खेती पिछले साल के मुकाबले 10.5 फीसदी घटकर 2.46 लाख हेक्टेयर में हुई है। जबकि पिछले साल दलहन की बुआई 2.75 लाख हेक्टेयर में हुई थी। हालांकि तिलहन की बुआई 94 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 2.21 लाख हेक्टेयर पहुंच गई है।
किसानों का रुझान कपास की खेती से घटा है। कपास की बुआई पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी कम हुई है। शुक्रवार तक प्रमुख उत्पादक राज्यों में कपास की बुआई 15.30 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल यह आंकड़ा 17.34 लाख हेक्टेयर था। हालाकि मानसून की ठीकठाक सक्रियता के बाद किसानों ने खेतों का रूख कर लिया था। कई जगह बुवाई योग्य बारिश हो गई थी।

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Posted By: Molly Seth