- सिटी मजिस्ट्रेट कोर्ट में नगर निगम से आने वाले डेयरियों से संबंधित सभी केस रिजेक्ट

- नगर निगम एक्ट के अंतर्गत निगम को है पूरी कार्रवाई का अधिकार

Meerut : सिटी के डेयरियां किसी नरक से कम नहीं है। इस बात को अब एनजीटी भी स्वीकार चुकी है। ऐसे में नगर निगम कार्रवाई करने में क्यों हीला हवाली करता है। ये समझ से परे हैं। जबकि नगर निगम एक्ट के तहत अधिकारियों को अवैध डेयरियों को हटाने में पूरा अधिकार है। अगर निगम कार्रवाई करनी भी होती है तो मजिस्ट्रेट में कोर्ट में भेज देता है। ऐसे में सिटी मजिस्ट्रेट में पिछले दो महीने में आने वाले एक दर्जन से अधिक केसों को सिरे रिजेक्ट कर दिया।

नगर निगम क्यों नहीं करता कार्रवाई?

सिटी मजिस्ट्रेट केशव कुमार ने केसों को रिजेक्ट करते हुए तर्क दिया जब नगर निगम एक्ट के तहत अधिकारियों को डेयरियों पर कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है तो कार्रवाई क्यों नहीं करता है? एक्ट के तहत अधिकारियों को डेयरियों पर जुर्माने करने का, उन्हें हटाने का, अगर जब भी कोई नहीं मानता है तो उस एफआईआर दर्ज करने का, ज्यूडिशियल कोर्ट में जाने का पूरा अधिकार तो सिविल कोर्ट में क्यों भेजे जाते हैं।

15 से अधिक केस रिजेक्ट

इन्हीं तर्को के आधार पर पिछले दो महीने में सिटी मजिस्ट्रेट ने डेयरियों से संबंधित नगर निगम के थ्रू आने वाले 15 से अधिक केसों को रिजेक्ट कर दिया है। प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो नगर निगम का रवैया ऐसे मामलों में काफी डिफेंसिव रहता है। इस तरह के मामले में सिर्फ सिटी मजिस्ट्रेट के पास ही नहीं आते हैं सर्किल के हिसाब एडमिनिस्ट्रेशन के तमाम मजिस्ट्रेट के पास आते हैं जो काफी सालों तक लंबित पड़े रहते हैं।

नगर निगम जिन केसों को मजिस्ट्रेटों के पास सुनवाई के लिए भेजता है उनके निस्तारण का पूरा अधिकार नगर निगम के पास होता है। नगर निगम के एक्ट में उन्हें कार्रवाई की पूरी पॉवर होती है।

- केशव कुमार, सिटी मजिस्ट्रेट

Posted By: Inextlive