पिकअप और डिलीवरी के लिए वीक इन और वीकेंड को चुना जाता है

बस और ट्रेन को तस्करी के लिहाज से फेवरेट मानते हैं हथियार तस्कर

खमचें - हथियार बनाने की फैक्ट्री

पैकेज - हथियार

वीक इन - सोमवार

वीकेंड - शुक्रवार

Meerut। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हथियारों की तस्करी अब एक बड़े नेक्सस का रूप ले चुकी है। तस्करी के नेक्सस में 15 नंबर को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूत्रों के मुताबिक हथियार तस्कर 15 के ईद-गिर्द ही हथियारों का सौदा पक्का करते हैं। यही नहीं पैकेज (हथियार) का पिकअप और डिलीवरी 15 के आंकडे़ के मुताबिक ही की जाती है।

बस और ट्रेन मुफीद

दरअसल, बीते सोमवार मुठभेड़ में गिरफ्तार हुए हथियारों के तस्कर कलीम ने पुलिस के सामने कुछ बड़े खुलासे किए। कलीम ने भी हथियारों की तस्करी के लिए बस और ट्रेन को मुफीद साधन बताया था। पूछताछ में कलीम ने ये भी बताया था कि वह मुंगेर जिले के शाह अब्दुला गैंग का सक्रिया सदस्य है और वह मेरठ समेत हरियाणा के रोहतक, पानीपत, सोनीपत, कैथल, भिवानी, गुरुग्राम और वेस्ट यूपी के मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर समेत विभिन्न जिलों में हथियार की तस्करी करता है।

क्या है 15 का आंकड़ा

15 के आंकड़े में 1 का मतलब है सोमवार और 5 का मतलब है शुक्रवार।

वीकइन और वीकेंड ही क्यों

गौरतलब है कि सोमवार यानी वीक इन और शुक्रवार यानी वीकेंड पर पूरे देश में सबसे ज्यादा लोग ट्रेवल करते हैं। सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से तस्कर वीक इन और वीकेंड को पैकेज उठाने और तस्करी के लिए चुनते हैं। इस दौरान एक तो भीड़ की आड़ में मुखबिरी और दूसरे गैंग्स के एरिया में पहचाने जाने का डर कम रहता है। दूसरा और सबसे अहम कारण भीड़ की आड़ में तस्करी को अंजाम देते वक्त चेकिंग का रिस्क भी न के बराबर होता है।

बस और ट्रेन फेवरेट

भीड़ की आड़ में तस्करी टै्रफिक के लिहाज से बस और ट्रेन तस्करों की फेवरेट लिस्ट में शामिल होते हैं। ट्रेन या बस में वीक इन और वीकेंड के दौरान ही तस्कर हथियार बनाने खमचें (हथियार बनाने की फैक्ट्री) से ग्राहकों की डिमांड के मुताबिक पैकेज उठाते हैं। जिसके बाद ग्राहक को पैकेज डिलीवरी डेट में भी वीक इन या वीकेंड का ऑपशन एसएमएस में भेजा जाता है। जिसके बाद ग्राहक जो ऑप्शन चुनता है, उसी हिसाब से पैकेज डिलीवर कर दिया जाता है।

Posted By: Inextlive