छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: टाटानगर रेलवे स्टेशन में सीनियर टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत लक्ष्मी कुमारी से रिम्स में भतीजे के दाखिले के नाम पर ठगों ने 17 रुपये ठग लिये। इसकी जानकारी उनको तब हुई जब कल्सनटेंसी के भागने की सूचना मिली। लक्ष्मी कुमारी से यह रकम उनके बहन के बेटे श्रीकांत के रिम्स में दाखिले के नाम पर लिये गये थे। लक्ष्मी कुमारी ने सोमवार को एसएसपी कार्यालय में मामले की शिकायत की है।

नीट में सफल हुआ है श्रीकांत

बर्मामाइंस कैरेज कॉलोनी निवासी लक्ष्मी चार बेटों के साथ रहती है। लक्ष्मी की बहन ललिता के बेटे श्रीकांत ने नीट (नेशनल एलिजिबिलीटी कम इंटरेंस टेस्ट) पास किया था। नीट में उसे 5,41,761वीं रैंक मिली थी। परीक्षा के बाद दाखिले के लिए लक्ष्मी ने कई एजूकेशनल कंसलटेंसी से संपर्क किया था। जिसके लिए 80 लाख रुपये तक की डिमांड थी। इस दौरान नोएडा के सेक्टर 63 स्थित एक्सीलेंस प्राइड कंसलटेंसी के मनीष ने संपर्क किया। मनीष ने पंजाब, हरियाणा के अलावा प्रयारागराज मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए 22 लाख रुपये की डिमांड की थी। इस पर लक्ष्मी ने 15 लाख रुपये देने की बात स्वीकार थी, लेकिन मनीष के मना कर दिया। लक्ष्मी ने बताया कि कुछ दिन बाद मनीष ने फिर फोन किया और 17 लाख में दाखिला कराने की बात की। मनीष ने रजिस्ट्रेशन के लिए 50 हजार रुपये डीडी बनवाने और बाकी की रकम की मांग नगद मांगी थी। लक्ष्मी मनीष से बात करने के लिए नोएडा स्थित उसके कार्यालय भी गई थी। लक्ष्मी ने बताया कि मनीष ने फोन कर बताया कि श्रीकांत का सेलेक्शन रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में हो गया है।

रकम ले दी फर्जी रसीद

मनीष ने दाखिले के लिए लक्ष्मी को रिम्स जाने को कहा। बताया कि वहां उसे एक व्यक्ति मिलेगा। वो उससे मिल ले। लक्ष्मी को अब उस व्यक्ति का नाम याद नहीं है। लक्ष्मी रिम्स गई और प्रसासनिक भवन के बाहर उसे वो व्यक्ति मिला। उसने रुपये लिए और बाकायदा उसकी रसीद भी दी। इसमें रिम्स लिखा हुआ था।

तो फ्राड का पता चला

नामांकन के बाद श्रीकांत को दो सितंबर से क्लास करने को कहा गया। जब श्रीकंात दो सितंबर को रिम्स गया तो उसे पता चला कि उसके साथ फ्राड हुआ है। रसीद फर्जी है। श्रीकांत ने फौरन फोन कर ये बात अपनी मौसी लक्ष्मी को बताई। फ्राड की बात सुनते ही लक्ष्मी के होश उड़ गए। उसने मनीष से उसके दिए मोबाइल नंबर पर फोन लगाया तो वो स्विच्ड ऑफ मिला। लक्ष्मी ने बताया कि फोन बंद मिलने पर वो मनीष से मिलने नोएडा पहुंची। लेकिन, वहां उसका दफ्तर बंद था। लोगों ने बताया कि इस नाम का अब यहां कोई कार्यालय नहीं है। मनीष दफ्तर बंद कर फरार हो गया है। नामांकन के दौरान मनीष ने श्रीकांत के सारे ओरिजनल प्रमाण पत्र को भी अपने पास रख लिया था। अब वो भी श्रीकांत के हाथ से चले गए।

Posted By: Inextlive