19 उम्मीदवार मेयर पद पर थे 1057 ने लड़ा पार्षदी का चुनाव 69 ने ठोकी थी पंचायत अध्यक्ष पर ताल 538 लड़े सदस्या पद का चुनाव पद खर्च सीमा मेयर 25 लाख पार्षद 2 लाख पंचायत अध्यक्ष 1.5 लाख सदस्य पद 30 हजार -सपा, बसपा, कांग्रेस, बीजेपी से पार्षद पद के दर्जनों उम्मीदवारों ने नहीं दी डिटेल -चुनाव आयोग आगे चुनाव लड़ने पर लगा सकता है रोक lucknow@inext.co.in LUCKNOW: मेयर से लेकर सभासद, नगर पंचायत अध्यक्ष आदि पदों के सैकड़ों उम्मीदवारों ने अभी तक आयोग को अपने खर्च का व्यौरा नहीं दिया है। ऐसे में चुनाव आयोग इन लोगों के भविष्य में चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है। जिन लोगों ने अभी तक चुनाव में खर्च की गई राशि का हिसाब नहीं दिया है उनमें राजधानी से मेयर पद पर ताल ठोंकने वाले प्रियंका माहेश्वरी (आम आदमी पार्टी), बुलबुल गोडियाल (बसपा), प्रेमा अवस्थी (कांग्रेस) भी शामिल हैं। दो दर्जन ने ही दिया हिसाब चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी करने के साथ ही विभिन्न पदों के लिए खर्च की सीमा तय कर दी थी। इसके तहत सभी प्रत्याशियों को तय समय से अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा जिला निर्वाचन को देना था। लेकिन नगर निगम में मेयर से लेकर सभासद और आठ नगर पंचायतों में अध्यक्ष व सदस्य पदों का चुनाव लड़े करीब दो दर्जन उम्मीदवारों ने ही अपने चुनावी खर्च का हिसाब दिया है। लगभग 1700 उम्मीदवारों ने अपने खर्च के बारे में जानकारी नहीं दी है। हार गए, काहे दें ब्यौरा जिससे जिला प्रशासन इन सभी के खर्च की डिटेल राज्य निर्वाचन आयोग को नहीं दे सका है। बहुत से उम्मीदवारों का कहना है कि वे चुनाव हार गए हैं ऐसे में ब्यौरा उपलब्ध क्यों कराएं। लेकिन आयोग इस मामले में सख्त एक्शन लेते हुए इनके भविष्य में चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा सकता है। पार्षद के 1057 उम्मीदवार शहर में मेयर के लिए 19 और पार्षद पद के लिए 1057 उम्मीदवार मैदान में थे। जबकि आठ नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए 69 और सदस्य पदों के लिए 538 प्रत्याशियों ने ताल ठोकी थी। 1783 उम्मीदवारों में से करीब 1700 से अधिक ने अपने खर्च का ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया है। जिला प्रशासन के अनुसार रिकार्ड न देने वालों को नोटिस जारी किया जाएगा। पार्षद की सीमा दो लाख नगर निगम के पार्षद पद के लिए खर्च सीमा दो लाख, मेयर पद के लिए 25 लाख निर्धारित थी। नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए 1.50 लाख और सदस्य पद के लिए 30 हजार रुपए सीमा तय की गई थी। नामांकन प्रक्रिया के बाद चुनाव प्रचार शुरू हो गया और उसी दिन से सभी उम्मीदवारों को एक-एक पैसे का हिसाब देना था। 17 और 23 नवंबर को दो बार प्रत्याशियों को इसके लिए बुलाया गया लेकिन प्रत्याशी नहीं पहुंचे। 20 तक जमा करने का मौका जिला प्रशासन ने सभी प्रत्याशियों को 19 व 20 दिसंबर को बैठक बुलाकर ब्यौरा जमा करने की हिदायत दी है। इसमें चुनाव प्रचार से लेकर मतदान के दिन से मतगणना तक पर हुए खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना है। प्रशासन का कहना है कि जल्द ही सभी प्रत्याशियों को अंतिम चेतावनी जारी की जाएगी। वाहनों का भी हिसाब नहीं जिला निर्वाचन कार्यालय ने उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखने के लिए लेखा टीमें बनाई थीं। चुनावी खर्च में खाने की थाली से लेकर प्लास्टिक की कुर्सी का किराया पांच रुपए प्रतिदिन तो वीआईपी कुर्सी का किराया 25 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जोड़ा गया है। चार पहिया वाहनों का खर्च भी तय किया था, जिसके तहत ई-रिक्शा का प्रतिदिन किराया 450 रुपए, जीप का 800 रुपए, एसयूवी 1500 रुपए, ऑटो-विक्रम का 500 रुपए किराया निर्धारित किया गया था। लग्जरी कार से प्रचार का खर्च 17600 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जोड़ा जाना है। लेकिन मेयर पद के कई उम्मीदवारों ने पहले चरण में दिखाया था कि वह चार पहिया वाहनों से प्रचार नहीं कर रहे थे। इन उम्मीदवारों द्वारा प्रयोग किए गए चार पहिया वाहनों की वीडियो रिकार्डिग निकाल उन्हें नोटिस जारी करने की तैयारी है। सभी उम्मीदवारों को एक मौका दिया जाएगा। इसके बाद चुनाव खर्च जमा न करने पर सभी को नोटिस जारी की जाएगी। शत्रुघ्न सिंह, उपजिला निर्वाचन अधिकारी

Posted By: Inextlive