सरकार द्वारा शीर्ष बैंक की गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उसकी मौद्रिक नीति में हस्तक्षेप करने के विरोध में आज 17000 बैंक कर्मी एकजुट हो गए हैं। रिजर्व बैंक के सभी कर्मचारी आज एक दिन के सामूहिक अवकाश हैं। कर्मचारियों ने इसकी घोषणा एक सप्‍ताह पहले ही कर दी थी। उनकी मांग है कि रिजर्व बैंक के अधिकारों में सरकार खलल न डाले।

रिटायरमेंट लाभ की मांग
रिजर्व बैंक की यूनियनों से जुड़े 17000 कर्मचारी आज एक दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं। इस तरह के हालात करीब 6 साल बाद बने हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने का कहना है कि अब सरकार बैंक की नीतियों में लगातार दखलदांजी करती जा रही है। सरकार शीर्ष बैंक की गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उसकी मौद्रिक नीति में दखल करने की कोशिश करती नजर आ रही है। जो पूरी तरह से रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र का मामला रहा है। कई बार इस बात का विरोध करने के बाद भी सरकार यह सब नहीं बंद कर रही है। जिसके चलते आज रिजर्व बैंक के कर्मचारी एक साथ विरोध में उतरे हैं। इतना ही नहीं इस दौरान कर्मचारी बेहतर रिटायरमेंट लाभ की भी मांग कर रहे है।
रिजर्व बैंक के अधिकार
गोरतलब है कि सामूहिक अवकाश की घोषणा एक सप्ताह पहले हो गई थी। कर्मचरियों ने ऐलान किया था कि इसमें रिजर्व बैंक सभीअधिकारी भी इस हड़ताल में शामिल है। इसके साथ ही इसमें कर्मचारियों की चार मान्यता प्राप्त यूनियनों का संयुक्त मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एंड इप्लॉयज भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यूनाइटेड फोरम के कर्मचारी संगठन पेंशन में सुधार के की मांग भी करेंगे। वहीं कर्मचारियों का यह भी कहना है कि वित्त मंत्रालय सरकार के ऋण प्रबंधन कार्यकलाप को रिजर्व बैंक के अधिकार से लेना चाहता है। वह उसे प्रस्तावित लोक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) को सौपने की तैयारी में है। जो रिजर्व बैंक के कर्मचारी हरगिज नहीं होने देंगे।

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Posted By: Shweta Mishra