सरकार द्वारा शीर्ष बैंक की गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उसकी मौद्रिक नीति में हस्तक्षेप करने के विरोध में अब बैंक कर्मी एकजुट हो गए हैं। रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने 19 नवंबर को एक दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा की है। कर्मचारियों का कहना है कि रिजर्व बैंक के अधिकारों में सरकार खलल न डाले।


बैंक कार्य से विरत रहेंगेरिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने का कहना है कि अब सरकार बैंक की नीतियों में लगातार दखलदांजी करती जा रही है। सरकार शीर्ष बैंक की गतिविधियों पर अंकुश लगाने और उसकी मौद्रिक नीति में दखल करने की कोशिश करती नजर आ रही है। जो पूरी तरह से रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र का मामला रहा है।  कई बार इस बात का विरोध करने के बाद भी सरकार यह सब नहीं बंद कर रही है। जिसके चलते अब रिजर्व बैंक के कर्मचारी एक साथ विरोध में उतरने जा रहे हैं। रिजर्व बैंक के कर्मचारियों ने ऐलान किया है कि वे 19 नवंबर को बैंक कार्य से विरत रहेंगे। करीब 17,000 कर्मचारी एक साथ  सामूहिक छुट्टी पर जाएंगे। कर्मचारियों के 19 नवंबर को विरोध के कारण देश की बैंकिंग प्रणाली में निपटान गतिविधियां बाधित होने की आशंका है।अधिकारी भी शामिल
वहीं एक साथ 17,000 कर्मचारियों के छु्ट्टी पर जाने के संबंध में एआईआरबीईए के महासचिव समीर घोष का कहना है कि रिजर्व बैंक अधिकारी भी इस हड़ताल में शामिल है। इसके साथ ही इसमें कर्मचारियों की चार मान्यता प्राप्त यूनियनों का संयुक्त मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ रिजर्व बैंक ऑफिसर्स एंड इप्लॉयज भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यूनाइटेड फोरम के कर्मचारी संगठन पेंशन में सुधार के की मांग भी करेंगे। वहीं कर्मचारियों का यह भी कहना है कि वित्त मंत्रालय सरकार के ऋण प्रबंधन कार्यकलाप को रिजर्व बैंक के अधिकार से लेना चाहता है। वह उसे प्रस्तावित लोक ऋण प्रबंधन एजेंसी (पीडीएमए) को सौपने की तैयारी में है। जो रिजर्व बैंक के कर्मचारी हरगिज नहीं होने देंगे।

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Posted By: Shweta Mishra