- एक साल पहले चकराता के जंगल में किया था लैपर्ड का शिकार

देहरादून,

दून पुलिस ने लैपर्ड की खाल के साथ दो वन्य जीव अंग तस्करों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने एक साल पहले चकराता के जंगल में लैपर्ड को बंदूक की गोली का शिकार बनाया था। उसकी खाल उतार ली थी, जिसे वे बेचने की फिराक में दून आए थे। इसी बीच पुलिस को इन्फॉर्मेशन मिल गई और दोनों तस्कर दबोच लिए गए।

बाइक पर निकले थे सौदा करने

एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि ट्यूजडे की रात कैंट थाना इंचार्ज संजय मिश्र को सूचना मिली कि एक बाइक से दो युवक लैपर्ड की खाल लेकर कहीं बेचने जा रहे हैं। सूचना पर सीओ मसूरी नरेंद्र पंत की अगुवाई में टीम को कॉम्बिंग के लिए लगा दिया गया। करीब सवा दस बजे बाइक सवार दो आरोपी दिखे। बाइक को रोककर जब तलाशी ली तो बाइक पर पीछे बैठे व्यक्ति के पास एक बड़ा पैकेट मिला। तलाशी ली तो उसमें लैपर्ड की खाल मिली। इस पर फॉरेस्ट के डिप्टी रेंजर सतबीर सिंह को बुलाया गया। उन्होंने लैपर्ड की खाल होने की पुष्टि की और बताया कि यह वयस्क लैपर्ड की खाल है, जिसकी उम्र 8 से 10 वर्ष के बीच रही होगी। खाल की लंबाई 8 फिट 5 इंच और चौड़ाई 5 फिट 3 इंच है। पकड़े गए तस्करों की पहचान धर्म सिंह निवासी भूपाऊ व चंदर सिंह निवासी बूरलिया, चकराता के रूप में हुई है। दोनों के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दोनों के पास से बरामद बाइक को भी सीज कर दिया गया है।

दून में ढूंढ रहे थे कस्टमर

कैंट थाना इंचार्ज संजय मिश्र ने बताया कि आरोपी तस्कर इस खाल को दून में ग्राहक को ढूंढने निकले थे। जिनके संपर्क में दून पुलिस का मुखबिर भी था, जैसे ही आरोपी ट्यूजडे को खाल लेकर निकले, पुलिस ने रास्ते से ही तस्करों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का दावा है कि खाल की कीमत अ‌र्न्तराष्ट्रीय बाजार में करीब 5 लाख रुपए है। पकड़े गए दोनों आरोपी गांव में खेती बाड़ी करते हैं, और लंबे समय से एक दूसरे को जानते हैं। पुलिस पकड़े गए तस्करों का आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही है।

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लैपर्ड की सबसे ज्यादा 98 मौत उत्तराखंड में

वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया वर्ष 2018 की रिपोर्ट के अनुसार देश में लैपर्ड की सबसे ज्यादा 98 मौत उत्तराखंड में हुई है। साल 2018 में भारत में करीब 500 लैपर्ड अलग-अलग वजहों से मारे गए थे। वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन सोसायटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के लैपर्ड की मौत मामले में देश के टॉप फाइव राज्य उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश है। रिपोर्ट के मुताबिक 500 लैपर्ड में से 169 की मौत शिकार की वजह से हुई। कुल मौतों का यह 37 परसेंट है। जबकि 331 ने अलग-अलग वजहों से अपनी जान गंवाई।

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पहले भी आया था हाईप्रोफाइल मामला

2018 मार्च में राजाजी टाइगर रिजर्व की दूधियाबंद बीट में लैपर्ड और टाइगर का मांस व हड्डियां मिली थीं। इस मामले में कई जांच अधिकारी भी बदले गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा। 2018 मार्च में जब यह मामला सामने आया तो जांच वार्डन कोमल सिंह को सौंपी गई। कोमल सिंह प्रकरण का खुलासा करने के करीब ही पहुंचने वाले ही थे कि उन्हें हटाकर मुख्य वन संरक्षक मनोज चंद्रन को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। प्रकरण में रेंजर अनूप गुसाईं सहित दो अन्य वनकर्मी को आरोपी पाते हुए देहरादून संबद्ध कर दिया गया था। कुछ समय बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई से प्रदेश में गुलदार और बाघ की मौत की जांच कराने का आदेश दिया। जिसके बाद दूधियांबद बीट के प्रकरण की जांच करने सीबीआई की टीम देहरादून पहुंची थी। कई अधिकारियों और अन्यों के सीबीआई ने बयान दर्ज करवाए, लेकिन कुछ दिन बाद ही सीबीआई में रार उत्पन्न हो गई। इसी बीच जांच में सुप्रीम कोर्ट से स्टे भी मिल गया था। जिसके बाद पूरे प्रकरण की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इसके बाद सीनियर अफसर्स और नेताओं के बीच यह मामला भटक गया।

Posted By: Inextlive