अलग धर्म की दो महिलाएं एक-दूसरे के पति को किडनी देकर बचाएंगी जान
मेरठ: अस्पताल की डायलिसिस यूनिट में मौजूद इन दो परिवारों की आंखों में कुछ दिनों पहले आंसू थे। आंसू अब भी हैं, लेकिन तसल्ली के। असलम की किडनी फेल होने के बाद उसकी पत्नी सायराबानो उसे किडनी देने के लिए राजी थीं, लेकिन दोनों का ब्लड ग्रुप अलग-अलग था। डॉक्टर दूसरे विकल्पों पर विचार करने लगे जो जाहिर तौर पर मुश्किल था। तभी एक और किडनी फेल होने का मामला अस्पताल पहुंचा। लालकिरण की पत्नी सरोज पति को किडनी देने के लिए तैयार थी, लेकिन यहां भी ब्लड ग्र्रुप अलग होने के कारण दिक्कत आ रही थी। डॉक्टरों ने जांच की तो सायराबानो का ब्लड ग्रुप लालकिरण से और सरोज का ब्लड ग्रुप असलम से मिल गया। डॉक्टरों की सलाह पर दोनों परिवार एक दूसरे को किडनी देने की बात पर राजी हो गए।
मेरठ के आनंद अस्पताल के डायलिसिस विभाग में मोहम्मद असलम (64) का गुर्दा प्रत्यारोपण होना है। पत्नी सायराबानो (61) ने अपनी किडनी देने की पेशकश की। लेकिन अलसम का ब्लड ग्रुप ए, जबकि पत्नी का बी था। अब परिवार के सामने भारी मुश्किल थी। इसी बीच हरदोई में अवर अभियंता के पद पर तैनात बरेली के लालकिरण (54) भी गुर्दा प्रत्यारोपण करवाने मेरठ आए। लालकिरण की पत्नी सरोज देवी (50) उन्हें अपना किडनी देना चाहती थीं। लेकिन यहां भी लालकिरण का ब्लड ग्रुप बी और सरोज का ब्लड ग्रुप ए निकला।
गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे दोनों मरीज डा. संदीप गर्ग की देखरेख में इलाज ले रहे थे। उन्होंने दोनों मरीजों की केस स्टडी के आधार पर परिजनों से बातचीत की। डा. गर्ग ने सरोज की किडनी असलम और सायराबानो की किडनी लालकिरण को देने की बात कही। परिजनों को गुर्दा प्रत्यारोपण की जटिलताओं के बारे में समझाया गया। दोनों परिवारों ने वक्त गंवाए बिना आपसी सहमति बना ली। गुर्दा प्रत्यारोपण से पहले प्रशासन से औपचारिक अनुमति मांगी गई है। उम्मीद है कि अगले 15 दिनों में प्रत्यारोपण कर लिया जाएगा।क्या आप भी हैं परफेक्ट कपल, इन वायरल तस्वीरों को देखकर जरूर जान जाएंगे
खर्च भी रह जाएगा आधा
डा. संदीप गर्ग ने बताया कि अलग-अलग ब्लड ग्रुप में आपस में किडनी लगाने में खर्च छह से सात लाख रुपये आता है। जबकि समान ब्लड ग्रुप में सिर्फ पौने तीन लाख खर्च होंगे। अलग-अलग ब्लड ग्रुप वालों में किडनी प्रत्यारोपण के दौरान मरीज को विशेष दवा देकर इम्यूनोसप्रेशन किया जाता है। इससे शरीर की एंटीबाडी खत्म हो जाती है और दूसरे ब्लड ग्रुप की किडनी लगाने के बाद भी शरीर रिएक्शन नहीं करता है। इसलिए अलग-अलग ब्लड ग्रुप में ज्यादा खर्च आता है।
लालकिरण को उनके ब्लड ग्रुप के मुताबिक सायराबानो, जबकि असलम को उनके ब्लड ग्रुप के मुताबिक सरोज की किडनी लगाई जाएगी। परिवार ने आपसी सहमति बना ली है। 2016 के कानून के मुताबिक किडनी के आदान-प्रदान की अनुमति मांगी गई है। - डा. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञफिल्मी सॉन्ग ही नहीं रियल लाइफ में भी लोगों को छूने से लगता है झटका, कारण जान रह जाएंगे हैरान
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