आठ साल में 20 टाइगर का शिकार
-शिकारियों पर नकेल कसने में पूरा सिस्टम फेल
-कार्बेट से पकड़ी पांच टाइगर की खाल, हड्डी ने खोली पोल -देशभर में आठ सालों में 200 से अधिक टाइगर मारे गए आई इंवेस्टिगेटिव rajneesh.kumar@inext.co.in DEHRADUN: टाइगर बचाने के लिए हर साल करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे है, लेकिन लगातार बढ़ते टाइगर्स का शिकार पूरी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहा है। जहां देशभर में आठ सालों में ख्00 से अधिक टाइगर शिकारियों की भेंट चढ़ गए, वहीं इनमें अकेले उत्तराखंड में ख्0 टाइगर मार दिए गए। कार्बेट के जंगलों से शिकारियों के पास से पांच टाइगर की खाल, हड्डी बरामद होने से पूरी सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई है। उत्तराखंड में हैं फ्ब्0 टाइगरउत्तराख्ाड बाघों की संख्या के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। यहां पर फ्ब्0 टाइगर जंगलों में हैं। इनमें जहां सबसे ज्यादा ख्00 से अधिक टाइगर कार्बेट पार्क में हैं, वहीं राजा जी पार्क में क्ब् टाइगर हैं। इसके अलावा अन्य कई पार्क में भी टाइगर माैजूद हैं।
अलर्ट से आगे नहीं बढ़ रही सुरक्षाउत्तराखंड में शिकार का यह पहला मामला नहीं हैं। जहां इस साल की शुरुआत में ही कोटद्वार से सात गुलदार की खाल पकड़ी गई थी, वहीं अब इसी क्षेत्र में पांच टाइगर की खाल और सौ किलो से अधिक हड्डी पकड़ी गई हैं। वन महकमा अलर्ट और सुरक्षा के दावे ही करता रह गया और बावरिया गिरोह लगातार शिकार करता रहा। ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खडे़ हो रहे हैं।
बावरिया गिरोह पर नहीं लगाम पिछले दिनों नेपाल में भी बाघों की खाल पकड़ी गई है। उनमें बावरिया गिरोह ही शामिल था। हालांकि अभी तक खुलासा नहीं हुआ है कि वो टाइगर कहां से मारे गए थे, लेकिन अब उत्तराखंड में बावरिया गिरोह के पकडे़ जाने और उनके द्वारा खाल नेपाल में बेचने के दावे के बाद यह आशंका जताई जा रही है कि वो टाइगर भी उत्तराखंड में ही मारे गए थे। ------- हमने पहले ही अलर्ट कर दिया था। हम अपनी टीम के साथ उत्तराखंड में ही हैं और टाइगर प्रकरण की जांच में मदद कर रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत कही गई है। इसके अलावा क्भ्0 से ज्यादा शिकारियों की सूची जारी कर दी गई है। --निशांत वर्मा, उत्तर भारत रीजनल डायरेक्टरप्रदेश में सुरक्षा को और बढ़ाया गया है। जंगलों में गश्त को बढ़ाए जाने के कड़े निर्देश दे दिए गए हैं। खाल पकड़े जाने का मामला बेहद गंभीर है, इस प्रकरण की जांच जारी है। लापरवाह वन कर्मियों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
----डा। धनंजय मोहन, मुख्य वन सरंक्षक, वन्य जीव उत्तराखंड उत्तराखंड में बाघों का शिकार वर्ष। शिकार खाल पकड़ी ख्009 0 क् ख्0क्0 क् 0 ख्0क्क् क् क् ख्0क्ख् फ् 0 ख्0क्फ् 8 0 ख्0क्ब् क् 0 ख्0क्भ् क् ख् ख्0क्म् 0 भ् ---- नोट- वाइल्ड लाइफ प्रोक्टेशन सोसायटी ऑफ इंडिया उत्तराखंड में गुलदार के शिकार साल खाल पकड़ी ख्0क्ख् ख्9 ख्0क्फ् ब्ब् ख्0क्ब् क्0 ख्0क्भ् 09ख्0क्म् क्ख्