- सीसीएसयू का 27वां दीक्षांत समारोह राज्यपाल की अध्यक्षता में संपन्न

- राज्यपाल ने कहा, मेहनत कर करें सपनो को साकार, सफलता के दिए चार मंत्र

Meerut : कभी हम चीन को याद करते थे, आज विकास के नाम पर चीन पिछड़ रहा है। भारत का चहुंमुखी विकास तेजी से हो रहा है। वर्ष 2020 में भारत विश्व गुरु बनेगा। जवान देश बनेगा। हमें इसकी जवानी को बरकरार रखना है, यह हमारी पूंजी है। मंगलवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के 27वें दीक्षांत समारोह का शुभारम्भ करते हुए कुलाधिपति/राज्यपाल रामनाईक ने विवि के सुभाष चन्द्र बोस प्रेक्षागृह में यह शब्द कहे। राज्यपाल ने सरस्वती मां के चित्र पर पुष्प अर्पित कर व दीप प्रच्जवलन कर किया।

छात्रों को प्रोत्साहित किया

राज्यपाल प्रेक्षागृह में उपस्थित मेडल एवं डिग्रीधारक छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्हें खुले आकाश में उड़ना है, कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना है। उनके पंखों में ताकत भरने का काम उनके परिवार और विश्व विद्यालय ने कर दिया है। सभी को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वह सपने देंखें तथा सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करें।

सफलता के मूलमंत्र

रामनाईक ने छात्र-छात्राओं को सफलता के चार मंत्र दिए। प्रथम मंत्र देते हुए कहा कि हम सदैव मुस्कुराएं, मुस्कुराएं और मुस्कुराएं। चाहे मार्ग में कितनी ही बाधा क्यों न हो। अच्छा कार्य करने वालों की सदैव प्रशंसा करें। किसी का भी अवमानना व अपमान न करना व जो भी कार्य वह करें उसे और अधिक अच्छा करने के लिए विचार करते रहें। अपनी सफलता का श्रेय भी उन्होंने इन चार मंत्रों को दिया। कहा कि आपके सपने साकार हो इससे आपका, आपके परिवार का, प्रदेश और देश का नाम रोशन होगा। मनुष्य को निरंतर अपने व्यक्तित्व का विकास करते रहना चाहिए।

किया प्रोत्साहित

आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि शामिल महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि, वर्धा, महाराष्ट्र के कुलाधिपति प्रो। कपिल कपूर ने अपने उद्बोधन में छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति शक्ति, ओहदा व धन को अपना ध्येय मानकर अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है जबकि वास्तविकता में दूसरों को सुखी रखने में ही असली सुख की अनुभूति होती है। सुख के लिए दो बाते आवश्यक है, पहला अच्छा सत्संग व दूसरा अच्छा भाग्य। हमारी संस्कृति पिछले पांच हजार वर्ष से जीवित है, क्योंकि हमारा जीवन मूल्य सर्वोच्च है हमें इसे बनाए रखना है।

यूपी में दूसरा नंबर

कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव दीपचंद ने किया। कुलपति प्रो। एनके तनेजा की अनुपस्थिति में प्रतिकुलपति प्रो। एचएस सिंह ने यूनीवर्सिटी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विद्यालय से सहारनपुर व मेरठ मंण्डल के 9 जनपदों के महाविद्यालय सम्बद्ध है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा का सीधा संबंध संसाधनों का भरपूर उपयोग करना हैं। यूनीवर्सिटी का प्रदेश में द्वितीय स्थान है जबकि देश की 66वीं उत्तम यूनीवर्सिटी सीसीएसयू है। लिंगदोह समिति के अनुसार छात्र संघ के चुनाव कराए जा चुके हैं। यूनीवर्सिटी में 24 घंटे बिजली, शुद्ध पेयजल व वाईफाई की सुविधा है।

इन्हें मिले पदक और उपाधि

दीक्षांत समारोह में वर्ष 2015 में डीलिट की उपाधियों में कला संकाय में 8, वाणिज्य संकाय में 2, शिक्षा संकाय में 1, विज्ञान संकाय की डीएससी की उपाधि में 2, कृषि संकाय में पीएचडी की उपाधि के लिए 15, एमफिल के लिए 4, एमएससी कृषि के लिए 33, कला संकाय की पीएचडी की उपाधि के लिए 273, एमफिल की उपाधि के 9 और एमए की उपाधि के लिए 67 को डिग्री प्रदान की गई। वाणिच्य संकाय की पीएचडी की उपाधि के लिए 22, एमबीए के लिए 26, शिक्षा संकाय की पीएचडी की उपाधि के लिए 37 विधि संकाय की एलएलडी की उपाधि के लिए 6, चिकित्सा संकाय के डीएम उपाधि के लिए 1, एमडी की उपाधि के लिए 32, एमएस की उपाधि के लिए 16, एमडीएस की उपाधि के लिए 97, विभिन्न डिप्लोमा के लिए 14, विज्ञान संकाय में पीएचडी के लिए 131, एमएससी के लिए 171 छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति द्वारा डिग्री प्रदान की गई।

मेधावियों को किया पुरस्कृत

कुलाधिपति रजत पदक के लिए वर्ष 2014 के लिए कुमुदनी शुक्ला, वर्ष 2015 के डॉ। मनीष गुच, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा स्वर्ण पदक के लिए रितु गोयल व किसान ट्रस्ट नई दिल्ली द्वारा चौधरी चरण सिंह स्मृति प्रतिभा पुरस्कार के लिए दिनेश कुमार सैनी व विदुला भारद्वाज को तथा विभिन्न परिक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक और प्रमाणपत्र से पुरस्कृत किया गया। शैक्षिक सत्र 2015 में 23 और 2014 के लिए 8 छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति ने पुरस्कृत किया। इस दौरान विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, सांसद राजेन्द्र अग्रवाल, विधायक रविंद्र भड़ाना आदि मौजूद थे।

झलकियां

सभागार में घड़ी देख हुए खुश

राज्यपाल जैसे ही संबोधन के लिए खड़े हुए तो उनकी नजर सामने लगी हुई डिजिटल घड़ी पर पड़ी। वे खुश हो गए। पिछली बात को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि जब वे पहले यहां आए थे तो सामने घड़ी लगाने की नसीहत दे गए थे। उन्होंने सबसे पहले सभागार में देरी से पहुंचने केलिए क्षमा मांगी और देरी का कारण मौसम में कोहरा बताया। राज्यपाल ने वीसी प्रो। तनेजा की अनुपस्थिति का अहसास दिलाया और कहा कि माता के निधन के चलते वे आयोजन में शामिल नहीं हो सके। हमें उनके परिवार की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।

छात्रों की ले ली चुटकी

राज्यपाल ने संबोधन में छात्रों की चुटकी लेते हुए कहा कि 36 स्वर्ण पदकों में से 7 छात्रों के है, जबकि 29 छात्राओं को मिलें हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि भविष्य में छात्रों को आरक्षण की आवश्यकता पड़ सकती है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए कहा कि कलाम साहब हमेशा कहते थे कि सपने अवश्य देखा, किंतु रात में नहीं बल्कि दिन में देखो। दिन में देखे हुए सपने को पूरा करने के लिए मनुष्य को कड़ी मेहनत करनी होती है।

रजिस्ट्रार ने की 'मिस्टेक'

रजिस्ट्रार दीपचंद्र स्टेज से मेडल प्राप्त करने वाले टॉपर्स के नाम ले रहे थे तो एक भी टॉपर स्टेज पर नहीं दिखा। यह देखकर रजिस्ट्रार ने अपनी लिस्ट को दोबारा से पढ़ा। प्रायोजित स्वर्ण पदक वाले टापर्स की जगह गलती से रजिस्ट्रार ने कुलपति स्वर्ण पदक टापर्स के नाम बोल दिए थे।

प्रो। वीसी ने संभाली कमान

वीसी प्रो। नरेंद्र कुमार तनेजा की अनुपस्थिति में दीक्षांत समारोह के संचालन की कमान प्रोवीसी प्रो। एचएस सिंह ने संभाली।

टापर्स का किया स्वागत

कुलाधिपति रामनाईक ने स्टेज पर चढ़ते ही सभी को हाथ जोड़कर नमस्कार कर सबका स्वागत किया। टापर्स को भी पुरस्कार देते हुए उन्होंने सम्मान दिया तो वहीं टापर्स ने पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।

ये रहे उपस्थित

समारोह में पूर्व कुलपति प्रो। एसपी ओझा, वित्त नियंत्रक अनिल कुमार अग्रवाल, उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ। असम जमशेदपुरी, डॉ़ संजीव शर्मा, प्रो़ वाई विमा, प्रो़ अर्चना शर्मा, प्रो। पीके मिश्रा, प्रो। पीके शर्मा, डॉ। प्रशांत कुमार आदि सहित विभागों के विभागाध्यक्ष और शिक्षक मौजूद थे।

Posted By: Inextlive