42379 मामले पॉक्सो एक्ट से संबंधित सूबे में लंबित

25749 केस रेप व अन्य लैंगिक अपराधों से जुड़े पेंडिंग

- 144 कोर्ट दुष्कर्म व 74 अदालतें पॉक्सो एक्ट के मामलों को सुनेंगी

- अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश स्तर के न्यायिक अधिकारी करेंगे सुनवाई

- राज्य सरकार ने पीठासीन अधिकारी के रूप में 218 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद सृजित किए।

- योगी कैबिनेट ने 33 प्रस्तावों पर लगाई मुहर

-14 जिलों में एसी इलेक्ट्रिक बसों के संचालन संबंधी प्रस्ताव पास

LUCKNOW:

महिलाओं व बच्चों संग अपराधों को लेकर देशभर में मचे हंगामे के बीच यूपी से राहत की खबर है। प्रदेश सरकार महिलाओं व बच्चों को इंसाफ दिलाने और दोषियों को जल्द सजा दिलाने के लिये सूबे में 218 नये फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित होंगे। यह कोर्ट महिलाओं के संग होने वाले रेप व पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों की ही सुनवाई करेंगी। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में सोमवार को इसके समेत कुल 33 प्रस्तावों को मंजूरी मिल गई। इनमें 14 जिलों में एसी इलेक्ट्रिक बसों के संचालन संबंधी प्रस्ताव और अयोध्या, फीरोजाबाद व गोरखपुर नगर निगम के सीमा विस्तार को भी हरी झंडी मिल गई है।

हर कोर्ट पर 75 लाख का खर्च

कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि महिलाओं व बच्चों संग होने वाले अपराधों में जल्द इंसाफ दिलाने और दोषियों को सजा दिलाने के लिये प्रदेश सरकार ने 218 नये फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में पॉक्सो एक्ट से संबंधित 42379 मामले तथा रेप व अन्य लैंगिक अपराधों से जुड़े 25749 मुकदमे विभिन्न कोर्ट में पेंडिंग हैं। उन्होंने बताया कि नये गठित होने वाले फास्ट ट्रैक कोर्ट में 144 कोर्ट महिलाओं के साथ होने वाले रेप के साथ ही पॉक्सो एक्ट के केसेज की सुनवाई करेंगी जबकि, 74 कोर्ट पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केसेज के लिये डेडीकेटेड होंगे। जिनमें बच्चों के साथ होने वाले लैंगिक अपराधों की सुनवाई होगी। कानून मंत्री ने बताया कि हर कोर्ट पर 75 लाख रुपये खर्च आने का अनुमान है। यानी सभी कोर्ट पर कुल मिलाकर 163.50 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष खर्च होंगे। कानून मंत्री ने बताया कि प्रदेश में गठित किए जाने वाले 218 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट में महिलाओं और बच्चों से जुड़े कोई और अपराधिक मुकदमे ट्रांसफर नहीं किए जाएंगे। कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी आज ही हाई कोर्ट को दे दी जाएगी। साथ ही बताया कि इन फास्ट ट्रैक कोर्ट के संचालन के लिए राज्य सरकार ने पीठासीन अधिकारी के रूप में 218 अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद सृजित कर दिए हैं।

14 शहरों में चलेंगी एसी इलेक्ट्रिक बस

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट में प्रदूषण पर काबू पाने के लिये यूपी के 14 शहरों में 700 एसी इलेक्ट्रिकल बसों के संचालन का निर्णय लिया गया है। पूरी योजना पीपीपी मोड में ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर निर्धारित की गई है। इन बसों के चलाने पर सालाना ढाई सौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। इनमें लखनऊ, कानपुर व आगरा में 100-100 बसें, मेरठ, गाजियाबाद, प्रयागराज, वाराणसी और मथुरा-वृंदावन में 50-50 बसें, मुरादाबाद, अलीगढ़, झांसी, बरेली, गोरखपुर, शाहजहांपुर में 25-25 बसें संचालित की जाएंगी।

बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे को मंजूरी

प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने पूर्वाचल एक्सप्रेस-वे परियोजना को बलिया से जोड़ने के लिये बलिया लिंक एक्सप्रेस वे प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि पूर्वाचल एक्सपे्रस-वे को बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे से जोड़ने से पूर्वाचल क्षेत्र के सभी जनपदों के लिये प्रदेश की राजधानी से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिये हाईस्पीड ट्रैफिक सुविधा उपलब्ध होगी।

10 पेड़ लगाने पर मिलेगी एक पेड़ काटने की मंजूरी

कैबिनेट ने 29 प्रजाति के पेड़ों को छूट की श्रेणी से हटा लिया है। प्रवक्ता सिंह ने बताया कि आम, नीम, साल, महुआ, बीजा साल, पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़, अर्जुन, पलाश, बेल, चिरौंजी, खिरनी, कैथा, इमली, जामुन, असना, कुसुम, रीठा, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली, धौ, खैर, शीशम व सागौन को छूट श्रेणी से हटा दिया गया है। अब यह पेड़ काटने के लिये उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के प्राविधानों के तहत ऑनलाइन सक्षम प्राधिकारी से लिखित अनुमति प्राप्त कर काटे जा सकेंगे। बताया कि पेड़ स्वामी काटे गए प्रत्येक पेड़ के स्थान पर कम से कम 10 पेड़ लगाएगा और उसकी देखरेख करेगा। अगर पेड़ मालिक के पास वृक्षारोपण के लिये जमीन नहीं होगी तो वह वन विभाग द्वारा प्रतिपूर्ति रोपण धनराशि जमा कराई जाएगी। इस धनराशि से वन विभाग पेड़ लगवाएगा।

कैबिनेट के अन्य महत्वपूर्ण फैसले

- अयोध्या, गोरखपुर व फीरोजाबाद नगर निगम सीमा विस्तार को मंजूरी

- औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नियमावली-2993 के प्रावधानों में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी, इसके तहत पूर्व में इकाइयों द्वारा यूपी वैट व सीएसटी के सापेक्ष जमा करायी गई धनराशि के रूप में अनुमन्य ब्याज मुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराने की व्यवस्था होगी।

- एक्कोहलिक लिकर फॉर ह्यूमन कंजम्शन के निर्माण के इस्तेमाल नॉन जीएसटी एल्कोहल पर पांच परसेंट टैक्स को मंजूरी

- 50 करोड़ से अधिक लागत वाले शासकीय भवनों के निर्माण कार्यो के डीपीआर के गगठन का काम पीडब्ल्यूडी के हवाले, कार्यदायी संस्था के लिये ओपन टेंडर आमंत्रित किये जाएंगे, जिसमें सरकारी व प्राइवेट सक्षम कंपनियां प्रतिभाग करेंगी।

Posted By: Inextlive