डिफेंस एन्क्लेव में फर्जी आवंटन कर कर्मचारी ने कमाए थे लाखों

कर्मचारी का रिकार्ड खंगालने एमडीए पहुंची विजिलेंस की टीम

2010 में एमडीए के डिफेंस एन्क्लेव में फर्जी आवंटन का आरोप

13,78,783 रुपए कमाई थी 1 मई 2001 से 31 अगस्त 2010 तक

50,03,358 रुपए खर्च किए थे आरोपी ने इस दौरान

Meerut। भ्रष्टाचार के आरोपी कर्मचारी महावीर प्रसाद पर आय से 263 प्रतिशत अधिक संपत्ति इनवेस्टीगेशन में पकड़ में आई थी। बुधवार को एमडीए पहुंची विजीलेंस टीम के मुताबिक 1 मई 2001 से 31 अगस्त 2010 तक आरोपी कर्मचारी की कमाई 13,78,783 रुपए थी, जबकि इस दौरान उसने 50,03,358 रुपए खर्च किए थे। जो आय से 263 प्रतिशत अधिक हैं। विजीलेंस टीम ने आरोपी कर्मचारी से जुड़े दस्तावेज खंगाले। वहीं उसके परिजनों द्वारा गुजारा भत्ता के संबंध में दाखिल याचिका पर प्राधिकरण के अधिकारियों से असल स्थिति की जानकारी हासिल की।

डिफेंस एन्क्लेव का मामला

संपत्ति विभाग में तैनात कर्मचारी महावीर प्रसाद को बुधवार को भ्रष्टाचार के आरोप की पुष्टि के बाद विजीलेंस टीम ने मेडिकल थानाक्षेत्र स्थित घर से धर दबोचा। आरोपी कर्मचारी पर 2010 में मेरठ विकास प्राधिकरण के डिफेंस एन्क्लेव में फर्जी आवंटन कर अपात्रों को प्लाट देने का आरोप था। ऐसे आवंटियों को प्लाट दे दिए गए थे जो नीलामी प्रक्रिया में शामिल नहीं थे। जबकि मूल आवंटी की फाइल के साथ छेड़छाड़ कर कुछ आवंटन रद भी किए गए थे, जिन्हें बाद में आरोपी कर्मचारी ने फर्जी आवंटियों को सौंप दिया था। करोड़ों रुपए के इस चर्चित गोरखधंधे में एमडीए के तत्कालीन ज्वाइंट सेक्रेटरी त्रिपाठी, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी (एकाउंटेंट) और एक अन्य कर्मचारी राकेश सागर के खिलाफ जांच बैठी थी।

जांच में खुलासा

भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद तत्कालीन सचिव अनुराग पटेल ने इस प्रकरण की जांच की थी। तत्कालीन एमडीए उपाध्यक्ष रामनवल सिंह के आदेश पर रिकार्ड समय में जांच को पूरा किया। जांच रिपोर्ट के आधार पर संपत्ति विभाग के आरोपी कर्मचारी महावीर प्रसाद को बर्खास्त किया गया। तत्कालीन संयुक्त सचिव शुक्ला के सस्पेंशन की संस्तुति की गई जिसके बाद उन्हें भी शासन ने सस्पेंड कर दिया था। एक डेली बेसिस कर्मचारी एकाउंटेंट तोमर की सेवाएं समाप्त की गई थीं। जबकि संपत्ति विभाग के ही कर्मचारी राकेश सागर आरोपमुक्त किए गए थे। इस केस की जांच एंटी करप्शन टीम (विजिलेंस) को 2010 में सौंपी गई थी, आरोपों की पुष्टि के बाद 2016 में एंटी करप्शन द्वारा थाना सिविल लाइन्स में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

Posted By: Inextlive