- एक बड़े प्राइवेट अस्पताल के कर्मचारी ने आई नेक्स्ट को ईमेल भेज कर बताई सच्चाई

- साउथ सिटी, मेडिकल कॉलेज और उर्सला की तरफ प्राइवेट हॉस्पिटलों व ब्लड बैंकों में सक्रिय रैकेट

KANPUR: शहर में खून की दलाली में सिर्फ एक ही रैकेट सक्रिय नहीं है बल्कि ऐसा करने वाले 3 रैकेट हैं। यह काम काफी संगठित तरीके से होता है। कल्याणपुर की तरफ चलने वाले रैकेट में कोचिंग मंडी में आने वाले बच्चों को भी शामिल कर कल्याणपुर की तरफ के कुछ ब्लड बैंकों में ब्लीडिंग कराई जाती है। वहीं उर्सला की तरफ मध्य कानपुर में सक्रिय रैकेट उस क्षेत्र के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में सक्रिय है। वहीं तीसरे रैकेट का भंडाफोड़ दो दिन पहले ही हुआ है जिसका संचालन साउथ सिटी से हो रहा है।

अंदर के लोग बताते ग्राहक

दरअसल शहर में खून के जितने भी रैकेट सक्रिय है उनका सीधा जुड़ाव मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक के दलालों से हैं। सूत्रों की माने तो मेडिकल कॉलेज का एक कर्मचारी अपने घर में ही अवैध तरीके से ब्लड बैंक का संचालन करता है। 'ब्लडी' रैकेट को चलाने वाले सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के छोटे कर्मचारियों के संपर्क में हमेशा बने रहते हैं। क्योंकि ब्लड की डिमांड भी इन्हीं के जरिए मिलती है। इस चीज का खुलासा तो जेएल रोहतगी में पकड़े गए उमाशंकर के मोबाइल से ही हो गया था उसके मोबाइल फोन में हर बड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के लोगों के नंबर मिले थे। ज्यादातर नंबर आईसीयू और ओटी में काम करने वाले लोगों के थे।

प्राइवेट अस्पतालों के कर्मचारी रैकेट के मददगार

आईनेक्स्ट की तरफ से ब्लडी रैकेट के खुलासे की खबर के छपने के बाद मंधना स्थित एक बड़े प्राइवेट अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने ईमेल भेज हकीकत बयां की। उसके मुताबिक इस रैकेट से ही खून लेने के चक्कर में उसके एक मरीज की मौत हो गई। उसने अस्पताल में आईसीयू व एनआईसीयू में काम करने वाले कर्मचारियों की ओर से इसी रैकेट से ब्लड लिया था। जिसके दो सप्लायर बुधवार को जेएल रोहतगी अस्पताल में पकड़े गए।

Posted By: Inextlive