- पटना में 1329 पेशेंट, पीएमसीएच में 39 एडमिट, अब तक 1886 पेशेंट मिले

- डेंगू से पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट राजीव लोचन की मौत

PATNA(16 Oct): राजधानी में डेंगू का डंक अब जहरीला और जानलेवा होने लगा है। जबकि सरकारी महकमा अब भी सोया हुआ है। बुधवार की सुबह पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट राजीव लोचन (40) की मौत डेंगू से हो गई। उनका इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में चल रहा था। वे नेहरु नगर, पाटलिपुत्र कॉलोनी के निवासी थे। इसके साथ ही अब तक पटना में डेंगू से तीन की जान जा चुकी है। हालांकि सरकारी डाटा में इसका जिक्र ही नहीं है। सरकारी अमला अपना तर्क दे रहा है। इस सीजन में प्रदेश स्तर पर बुधवार तक 1886 पेशेंट मिल चुके हैं। सिर्फ पटना जिला में 1329 पेशेंट मिल चुके हैं।

खुलेआम लापरवाही तो क्यों न हो डेंगू

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पटना के डेंगू प्रभावित वार्ड नंबर 27 के लोदीपुर का विजिट किया। बंटी कुमार और सोनेलाल ने बताया कि डेंगू से कई लोग प्रभावित हैं। गंदगी है और पीने के साफ पानी का संकट है। लेकिन देखने वाला कोई नहीं है। निगम की ओर से न तो ब्लीचिंग की गई है और न ही फॉगिंग हुई है। वहीं, इससे सटे मंदिरी नाला पार कर मंदिरी इलाके में जाने पर पता चला कि यहां भी डेंगू के दर्जनों मामले से इलाके के लोगों में दहशत है। लोगों ने निगम पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

डेंगू पेशेंट से भरा वार्ड

बुधवार की शाम तक पीएमसीएच के डेंगू वार्ड में 39 पेशेंट एडमिट थे। बुधवार को पांच नए पेशेंट एडमिट किए गए। इस प्रकार वार्ड का हर कमरा डेंगू पेशेंट से भर गया है। हालांकि 30 अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। वहीं, एनएमसीएच और आरएमआरआई में भी जांच के लिए दर्जनों पेशेंट रोज पहुंच रहे हैं।

जांच हो तो सच आए सामने

करीब 20 दिनों से डेंगू की जांच हो रही थी और डेंगू के गंभीर पेशेंट नहीं थे। लेकिन अब तक तीन पेशेंट की मौत से लोगों में दहशत है। सीनियर फिजिशियन डॉ राजीव रंजन ने बताया कि डेंगू का जहर आखिर कैसे फैल गई या इसके वायरस जनित तथ्यों में कोई नई बात सामने आयी है। इसे जानने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजी, पुणे या किसी प्रमाणित लैब में जांच हो, तभी इसके कारणों की पुष्टि की जा सकती है।

अभी महामारी जैसे हालात नहीं

डेंगू पर पूरे शहर में दहशत का माहौल है। लेकिन राज्य स्वास्थ्य समिति इसे गंभीर समस्या नहीं माना है। समिति में राज्य सर्वेक्षण पदाधिकारी डॉ रागिणी मिश्रा ने बताया कि अब तक जो आंकड़े और लक्षण आ रहे हैं। उसे देखकर इसे महामारी नहीं कहा जा सकता है। डेंगू के लार्वा सर्वे के अध्ययन के बाद पता चला है कि यह महामारी जैसी स्थिति को इंगित नहीं करता है। लोगों में भी जागरूकता बढ़ी है। राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से अब तक एक भी डेंगू से मौत की सूचना नहीं है।

किस स्थिति में पेशेंट की मौत हो रही है, यह देखना होगा। इसके लिए एलाइजा केस कम्फर्म होना चाहिए। कहां से जांच कराई गई है। इसके अलावा संबंधित पेशेंट को कहीं कोई कार्डियोवस्कूलर डिजीज तो नहीं था। ऐसे तमाम प्रोटोकॉल है, जिसे देखने के बाद ही डेंगू से मौत की बात पर निर्णय लिया जा सकता है।

-डॉ रागिनी मिश्रा, राज्य स्वास्थ्य समिति

Posted By: Inextlive