आजकल मार्केट में असली से मिलती-जुलती नकली दवाओं की भरमार हो गई है जिनका इस्तेमाल नुकसानदायक ही नहीं बल्कि घातक साबित हो सकता है। ऐसे में तीन भारतीय स्टूडेंट्स द्वारा बनाई एक मोबाइल ऐप कमाल करने वाली है। तभी तो इस कमाल के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने इन्हें एक बड़ा इनाम दिया है।

नई दिल्ली (पीटीआई)बाजार में बिक रही तमाम नकली दवाओं को पहचान पाना किसी के लिए भी आसान नहीं है लेकिन बैंगलुरु के तीन इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने ऐसी दवाओं को पहचानने वाली एक मोबाइल ऐप बनाकर वाकई नया कारनामा कर दिखाया है। बता दें कि बेंगलुरु के आर वी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के 3 स्टूडेंट्स Chidroop I, Pratik Mohapatra और Srihari HS की टीम ने रेडमंड, अमेरिका में हुए माइक्रोसॉफ्ट इमेजिन कप 2018 की वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान फर्जी दवाएं पहचानने वाली इस मोबाइल ऐप को प्रदर्शित कर 15000 अमेरिकी डॉलर का अवार्ड जीता है।

भारत के इन 3 स्टूडेंट्स की टीम पहुंची थी ग्लोबल फाइनल तक
भारत के बैंगलुरु शहर के एक फेमस इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाले ये 3 स्टूडेंट्स माइक्रोसॉफ्ट द्वारा आयोजित किए जाने वाले ग्लोबल कॉम्पटीशन में भाग ले रहे थे। जिसमें उनकी टीम, जिसका नाम DrugSafe था, Microsoft इमेजिन कप वर्ल्ड चैंपियनशिप के ग्लोबल फाइनल में पहुंची थी। जहां कड़े मुकाबले में इस टीम ने फर्जी दवाएं पहचानने वाली अपनी अनोखी मोबाइल ऐप प्रदर्शित कर 15,000 यूएस डॉलर का इनाम जीत लिया।

दवा के रैपर की आसान स्कैनिंग से बता देती है असली नकली का सच
इनाम जीतने वाली इस टीम के तीनों स्टूडेंट्स दुनिया भर में बेची जा रही और इस्तेमाल हो रही फर्जी दवाओं की बढ़ती समस्या को कंट्रोल करना चाहते थे, तभी उन्होंने एक ऐसी ऐप बनाई है जो किसी भी दवा की प्रमाणिकता की पुष्टि आसानी से कर देती है। इनके द्वारा बनाई गई ऐप ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन यानी OCR के आधार पर काम करती है और किसी भी दवा के रैपर को स्कैन कर उसकी डिजाइनिंग और पैकेजिंग की तुलना ओरिजिनल मेडिसिन मैन्यूफैक्चर के पेटेंट और ट्रेडमार्क की हर डीटेल से करती है। स्कैनिंग के दौरान 3 लेवल की चेकिंग करके यह ऐप उन दवाओं के रैपर पर मौजूद किसी भी तरह विसंगति को तुरंत ही पकड़ लेती है। जिससे यूजर के लिए यह पहचानना आसान हो जाता है कि वह दवा नकली है या असली।

कनाडा की टीम ने आर्टीफिशियल हाथ बनाकर जीता 85,000 डॉलर का ईनाम
बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट द्वारा आयोजित किए जाने वाले इमेजिन कप 2018 के जिस ग्लोबल फाइनल में भारत की एक टीम ने यह ईनाम जीता है, उस प्रतियोगिता की ओवरऑल विनर टीम रही कनाडा से है। smartARM नाम की उस टीम ने दिव्यांग लोगों के लिए एक फंक्शनल रोबोटिक प्रोस्थेटिक हैंड बनाया था जिसे माइक्रोसॉफ्ट के अजूरे प्रोजेक्ट द्वारा सपोर्ट किया गया था। इस प्रोस्थेटिक हाथ की हथेली में एक कैमरा लगा हुआ है जो कि किसी भी चीज को पहचानने और उसे पकड़ने के लिए जरूरी ताकत का सही निर्धारण करता है। वाकई यह भी एक कमाल का आविष्कार है, तभी तो कनाडा की टीम को इस प्रतियोगिता में 85,000 डॉलर का ईनाम मिला है।

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Posted By: Chandramohan Mishra