गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में 48 घंटे के भीतर 40 मासूमों की मौत
GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हाहाकार मच गया जब ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने से 20 मरीजों की जान चली गई. गुरुवार रात 11.30 बजे शुरू हुआ मौतों का सिलसिला शुक्रवार सुबह 9 बजे तक चलता रहा. इस बीच मेडिकल कॉलेज में अफरा-तफरी मची रही. लोगों की चीख-पुकार मचती रही, लेकिन जिम्मेदारों का कलेजा नहीं पिघला. गौरतलब है कि करीब 24 घंटे पहले ही बीआरडी को ऑक्सीजन सप्लाई देने वाली प्राइवेट कंपनी ने प्रिंसिपल को लेटर लिखा था. इसमें कहा गया था कि अगर कंपनी के बकाया 67 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया गया तो ऑक्सीजन सप्लाई ठप कर दी जाएगी।
-100 बेड इंसेफेलाइटिस वार्ड में कुल भर्ती मरीज 73। इनमें से 54 वेंटीलेटर पर थे।-10 बच्चे इंसेफेलाइटिस वार्ड और 10 न्यू नेटल यूनिट (एनएनयू) में भर्ती थे।-300 मरीजों को बीआरडी में पाइप के जरिए दी जाती है ऑक्सीजन।रात 8 बजे पहली बार रुकी सप्लाई
ऑक्सीजन ठप होने का सिलसिला गुरुवार रात आठ बजे से शुरू हुआ. इस समय इंसेफेलाइटिस वार्ड में सप्लाई बंद हो गई. इसके बाद वार्ड को लिक्विड ऑक्सीजन से जोड़ा गया. रात के 11.30 बजते-बजते यह भी खत्म हो गया. यह देखते ही वहां तैनात ऑपरेटर के होश फाख्ता हो गए. उसने जिम्मेदार अधिकारियों को फोन मिलाना शुरू किया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. इस बीच रात 1.30 बजे तक सप्लाई ठप रही. इस दौरान वार्ड में भर्ती 50 से अधिक मरीज बेहोशी की हालत में थे। इन सभी की हालत बिगडऩे लगी. यह देखकर डॉक्टर और स्टाफ की हवाइयां उडऩे लगीं।
यह सब चल ही रहा था कि रात करीब 1.30 बजे सिलेंडर आक्सीजन से लदी गाड़ी आई. इसको आनन-फानन में ऑक्सीजन पाइप से जोड़ा गया. यह सब देखकर वहां मौजूद लोगों और डॉक्टरों ने राहत की सांस ली। लेकिन सुबह 7 बजे फिर से ऑक्सीजन का सिलिंडर खत्म हो गया. सुबह नौ बजे तक 20 लोगों की मौत हो चुकी थी. इसके बाद अंबू बैग से मरीजों को ऑक्सीजन दिया जा रहा था। तीमारदारों को निकाल दिया बाहर
ऑक्सीजन सप्लाई खत्म हो चुकी है इस बात की खबर सुबह तीमारदारों को लगी तो कोहराम मच गया। इस बीच सभी तीमारदारों को वार्ड से बाहर निकाल दिया गया। जिन लोगों की मौत हो गई थी, उनके परिजन रो-रोकर बेहाल हो रहे थे। देखते ही देखते बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हर तरफ मौत की चीख सुनाई देने लगी।
एसएसबी ने बढ़ाया मदद का हाथ
जब बीआरडी में ऑक्सीजन खत्म होने लगी तो जिम्मेदार इधर-उधर से जुगाड़ में लग गए। उन्होंने एसएसबी डीआईजी को मामले से अवगत कराया। एसएसबी डीआईजी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल 10 सिलिंडर भिजवाए। वहीं 8 सिलेंडर की व्यवस्था निजी अस्पताल से कराई गई।
सीएम ने बुधवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि इलाज में लापरवाही से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं समीक्षा बैठक में अफसरों ने सब कुछ ऑल इज वेल कह कह कर खूब वाहवाही बटोरी। इसके दूसरे ही दिन हुए इतने बड़े हादसे से व्यवस्था की पोल खोल दी।
लेटर पर लेटर पर क्यों नहीं हुआ भुगतान?
मेडिकल कॉलेज में पुष्पा सेल्स कंपनी लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई करती है। कंपनी के अधिकारी दिपांकर शर्मा ने प्राचार्य को लेटर लिखकर बताया है कि कॉलेज पर 68 लाख 58 हजार 596 रुपए का बकाया हो गया है। बकाया रकम की अधिकतम तय राशि 10 लाख रुपए है। बकाया की रकम तय सीमा से अधिक होने के कारण देहरादून के आईनॉक्स कंपनी की एलएमओ गैस प्लांट ने गैस सप्लाई देने से इनकार कर दिया है। पिछले दो महीने से कंपनी प्रिंसिपल को पत्र लिखकर भुगतान के बारे में चेतावनी दे रही थी। लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इससे कंपनी से लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई करने से मना कर दिया। उधर ऑपरेटर ने गुरुवार को ही पत्र देकर प्रिंसिपल, एसआईसी के साथ एचओडी को भी ऑक्सीजन स्टॉक कम होने की जानकारी दी थी। लेकिन किसी ने भी पत्र रिसीव नहीं किया।