- हर साल पूरा चेकअप कराना बेहद जरूरी

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LUCKNOW:

दिल की बीमारी आपकी बॉडी को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों के बारे में बताती है। कार्डियोवास्कुलर बीमारी आमतौर पर उन स्थिति को कहते हैं जिनमें रक्त वाहिकाओं के संकुचित या अवरुद्ध होने की वजह से दिल का दौरा, एनजाइना या स्ट्रोक आने का खतरा रहता है। आपके दिल की मांसपेशियों, वॉल्व या दिल की धड़कन का प्रभावित होना भी हृदय रोग का एक रूप माना जाता है। ऐसे में हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाकर कई प्रकार के हृदय रोगों को रोका या ठीक किया जा सकता है।

भोजन में हेल्दी फूड शामिल करें

एक सर्वे के अनुसार भारतीयों में अपने अनुवंशिक संरचना के कारण हृदय की बीमारियों का खतरा अधिक है। इसके मुख्य कारणों में शारीरिक गतिविधियों का न होना, खराब आहार व्यवस्था, चीनी तथा नमक की अधिक खपत और ट्रांस फैट का ज्यादा यूज शामिल है। वहीं एक सर्वेक्षण के अनुसार 86 प्रतिशत के वैश्रि्वक औसत की तुलना में लगभग 89 प्रतिशत भारतीयों ने तनाव का सामना करने की बात कही है।

खानपान को लेकर सचेत रहें।

डॉक्टर्स के अनुसार हेल्दी फूड में बादाम, फल या ओट्स को शामिल करें। अधिक प्रोसेस्ड और तले हुए खाने से बचें। अपनी दिनचर्या में व्यायाम चाहे वह तेज चलना हो, हल्की जॉगिंग करनी हो, जिम जाना हो, तैराकी, जुंबा या योग हो को जरूर शामिल करें। सबसे जरूरी है कि आप अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को जानें। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में होने वाली सभी मौतों में 28 प्रतिशत सीवीडी से होने वाली मौतों की संख्या किसी भी अन्य कारण से होने वाली मौतों से अधिक है।

दिल के छेद को छाती में बिना चीरा लगाए कर देते हैं ठीक

केजीएमयू में लारी कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ। वीएस नारायन बताते हैं कि यदि किसी पेशेंट को दवाई से फायदा नहीं है तो आजकल नई पेसमेकर मशीन सीआरटी आ गई है, जिसे लगाने के बाद हार्ट सही रहता है और उम्र भी बढ़ती है। इसके साथ आईसीडी भी लगा देते हैं, जो काफी फायदेमंद होती है। वहीं बच्चों के दिल के छेद को छाती में बिना चीरा लगाये पैर की नस से बंद कर देते हैं। यह सभी सुविधाएं आयुष्मान योजना के तहत उपलब्ध भी हैं।

सीने का दर्द हार्ट अटैक जरूरी नहीं

हार्ट की बीमारी में हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, एनजाइना, कोरोनरी धमनी की बीमारी, दिल में छेद, रूमैटिक हार्ट डिजीज, कार्डियोमायोपैथी बीमारी शामिल है, लेकिन यह ध्यान रखें कि हर सीने का दर्द हार्ट अटैक नहीं होता है। ऐसे में दर्द उठे तो घबराये नहीं डॉक्टर को दिखाएं। पैर में सूजन, छाती में दर्द, सांस का फूलना, चक्कर, सोते समय अचानक उठने पर सांस फूलना आदि लक्षण नजर आये तो तुरंत किसी हार्ट स्पेशलिस्ट को दिखाएं। अगर बीपी की दवा लेते हैं तो हर तीन और छह महीने में चेकअप कराते रहें। हेल्दी हार्ट के लिए तीस मिनट एक्सरसाइज, पत्तेदार सब्जी, फल को खाने में शामिल करें।

- डॉ। प्रवीण शर्मा, बलरामपुर हास्पिटल

कम उम्र में हो रहा हार्ट अटैक

पहले बड़ों में होने वाला हार्ट अटैक अब तीस की उम्र के लोगों में होने लगा है। इसका सबसे बड़ा कारण लाइफ स्टाइल में बदलाव है। टेंशन, एक्सरसाइज की कमी, डायट पर कंट्रोल न होना, फास्ट फूड ज्यादा खाना इसकी बड़ी वजह है। ऐसे में जरूरी है कि हेल्दी डायट के साथ एक्सरसाइज को शामिल करें। आजकल 40-60 उम्र के लोग ज्यादा हार्ट की प्रॉब्लम वाले आ रहे है। ऐसे में समय-समय पर चेकअप कराते रहना चाहिए।

- डॉ। राजेश श्रीवास्तव, सिविल हास्पिटल

हार्ट फेलियर ज्यादा घातक है

आज के दौर में हार्ट अटैक से ज्यादा हार्ट फेलियर खतरनाक है क्योंकि इससे लाइफ स्पेन कम हो जाता है। यह एक दिल के नसों की बीमारी है, जिसमें दिल की नसें पतली रहती हैं या मांसपेशिया खराब हो जाती है, जिससे छोटा हार्ट अटैक होने पर भी पता नहीं चलता है इसलिए जिसे सांस फूलना या दिल की नसों की मांसपेशिया कमजोर हो उसे बाई-पास सर्जरी कराने से फायदा मिल सकता है। पहले हार्ट फेलियर होने पर एवरेज एज पांच साल रहती थी, लेकिन अब लोगों की जिंदगी बढ़ सकती है क्योंकि अब नई और बेहतर दवाई बीटा बलाकर और आर्नी आ गई है, जिसको लेने से फायदा होने से बार-बार भर्ती नहीं होना पड़ता है।

- डॉ। वीएस नारायन, केजीएमयू

एप या स्मार्टवॉच के भरोसे न रहें

आजकल लोग मोबाइल एप या स्मार्टवॉच के सहारे अपनी हार्ट रेट या बीपी नापते हैं जोकि गलत है। दरअसल, प्रेशर धमनी में होता है न कि शरीर के ऊपरी सतह पर। यही वजह है कि डॉक्टर मशीन को आपके बाजू में कस के बांधकर बीपी नापते हैं।

डॉ। विराज सुवर्ण, कॉडियोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive