आजकल सिर्फ मोबाइल फोन के इंटरनेट तक सीमित हो गए हैं स्टूडेंट्स

बेहतर रिसर्च के लिए डीपली नॉलेज की होती है खास जरूरत

Meerut . मोबाइल फोन पर सिर्फ किसी टॉपिक की नॉलेज लेनी चाहिए, गूगल की रिसर्च से कोई बेहतर शोधकर्ता नहीं बन सकता है. अगर हकीकत में बेहतर लेवल की रिसर्च करनी है तो उसके लिए स्टूडेंट्स को गंभीर अध्ययन की आवश्यकता होती है. यह बात सीसीएस यूनिवर्सिटी में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में आयोजित सब्जेक्ट टीचर्स ने कही. दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बेहतर रिसर्चर बनने के लिए सेल्फ स्टडी बहुत जरूरी है. उन्होंने कहाकि बेहतर स्टूडेंट्स ही देश का बेहतर भविष्य बनाने में सहयोग देता है, इसके लिए जरूरी है कि टीचर और स्टूडेंट्स दोनों गंभीर हों.

मोबाइल पर डिपेंड

एक्सपर्ट के मुताबिक आजकल 70 प्रतिशत यूथ सिर्फ मोबाइल फोन के इंटरनेट पर ही डिपेंड हो गया है. किसी भी स्टडी मैटीरियल को सर्च करने के लिए सबसे पहले स्टूडेंट्स को गूगल नेट सर्फिंग और यू-ट्यूब आदि सरल चीजें ही याद आती हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार सिर्फ मोबाइल पर सीमित रहना भी एडिक्शन का शिकार बना देता है, जो हमारी सोचने की क्षमता को कम कर रहा है. इसके कारण हम सिर्फ मोबाइल फोन की कठपुतली बनकर रह गए हैं. जो सही नहीं है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से आए बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डी. गुप्ता ने कहा कि अगर बेहतर रिसर्च करनी है तो उसके लिए हमें मोबाइल की दुनिया छोड़कर किताबों को दोस्त बनाना होगा. जितना हम किताबों के जरिए अध्ययन करेंगे उतनी हमारी नॉलेज अधिक होगी. वहीं बीएचयू वाराणसी से आए डॉ. संजीव तोमर ने कहा कि इंटरनेट से हम सिर्फ नॉलेज का बेसिक सपोर्ट ले सकते है, लेकिन बुक्स का ज्ञान बहुत जरुरी है.

लाइब्रेरी में मिलेगा भरपूर ज्ञान

बेहतर रिसर्च करने के लिए लाइब्रेरी में कम से कम कई घंटों की रेगुलर पढ़ाई करना बहुत ही जरुरी है. फैजाबाद अयोध्या के डॉ. राममनोहर यूनिवर्सिटी से आए प्रो. संत शरण मिश्र का कहना था कि अगर बेहतर रिसर्च कर अच्छा प्रोफेसर बनना है तो उसके लिए आपको लाइब्रेरी में ही ज्ञान मिल सकता है, लाइब्रेरी में जाकर आपको वहां बेहतर नॉलेज वाली हर टॉपिक्स की बुक्स मिलेंगी जिससे बेहतर अध्ययन हो सकता है.

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