Cyber Crime in India: यह बात सुनकर आप जरूर चौंक जाएंगे कि भारत में हर 10 वयस्क लोगों में से चार लोग अपनी जिंदगी में कभी न कभी ऐसे साइबर क्राइम का शिकार बने हैं जिसमें उनसे उनकी पहचान चुरा ली गई जो वाकई डराने वाली बात है।


नई दिल्ली (आईएएनएस)Cyber Crime & Cyber Safety in India: साइबर क्राइम में खुद की पहचान की चोरी का शिकार बनने वालों में जो लोग शामिल हैं, उनका आंकड़ा टोटल का करीब 39% है। सोमवार को सामने आई एक इंटरनेशनल रिपोर्ट बताती है कि आईडेंटिटी थेफ्ट यानी पहचान की चोरी और साइबर क्राइम महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों के मामले में ज्यादा होते हैं, जबकि दूसरी तरफ हालत यह है कि किसी भी तरह के दुरुपयोग और संभावित खतरे के बावजूद ज्यादातर भारतीय तक लोग ऑनलाइन फेशियल रिकग्‍नीशन सिस्‍टम को सपोर्ट करते हैं। यह रिपोर्ट कंज्‍यूमर साइबर सेफ्टी के मामले में ग्‍लोबल लीडर कहे जाने वाले NortonLifeLockकी तरफ से जारी की गई है।

79 परसेंट भारतीयों को नहीं पता कि ऐसे साइबर क्राइम से कैसे बचें

यह रिपोर्ट बताती है कि इस सर्वे में शामिल हुए लोगों में से तकरीबन 61% लोग साइबर क्राइम या पहचान की चोरी से जुड़े मामलों में खुद को संरक्षित और सुरक्षित महसूस करते हैं, जबकि 63 परसेंट लोगों को इस बात का आईडिया ही नहीं है, कि अगर उनकी पहचान चोरी हो जाती है तो उन्हें इससे बचने के लिए क्या करना है। तीन चौथाई से ज्यादा यानि तकरीबन 79% लोग चाहते हैं कि उन्हें इस बात की जानकारी विस्तार से मिले अगर उनके साथ ऐसा होता है तो उन्हें क्या करना है। इस मामले में रिपोर्ट बताती है इस सर्वे में शामिल तमाम उत्तर दाताओं में तकरीबन 80 परसेंट लोगों ने बताया कि अपनी जिंदगी में वो कभी ना कभी साइबर क्राइम का शिकार बने हैं। इसमें भी खास बात यह है कि कुल में से 66% लोगों ने कहा कि पिछले 12 महीनों के दौरान उन्होंने खुद से सम्‍बंधित साइबर क्राइम को झेला है।

विदेशों की तुलना में भारत में लोग ज्‍यादा एलर्ट

नॉर्टन लाइफ लॉक के भारत में कंट्री डायरेक्‍टर रितेश चोपड़ा बताते हैं कि दुनिया भर में पहचान की चोरी, ऑनलाइन फ्रॉड और पर्सनल डाटा का लीक होना जैसे मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में सभी के लिए बहुत जरूरी है कि वह अपनी पर्सनल इंफॉर्मेशन और डेटा को सुरक्षित रखने के बारे में गंभीरता से सोचे और समझे। यह रिपोर्ट बताती है कि भारतीय उपभोक्ता अपनी पर्सनल जानकारियों, सूचनाओं के मिस यूज को लेकर दूसरे देशों के नागरिकों की अपेक्षा ज्यादा जागरूक और सतर्क हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह अजीब बात भी सामने आई कि उनमें से बहुत सारे लोग अपने पर्सनल डाटा को शेयर करने को लेकर संतुष्ट दिखे, अगर उसके बदले में उन्‍हें कोई रिटर्न मिल रहा है।

94 परसेंट लोगों ने की अपनी ऑनलाइन एक्‍टीविटीज छिपाने की कोशिश

इस रिपोर्ट में एक और मजेदार बात सामने आई है कि लगभग सभी भारतीय ऑनलाइन कंज्यूमर्स जिन्होंने इस सर्वे में हिस्सा लिया या कहें कि उनमें से 94 फ़ीसदी लोगों ने अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने फुटप्रिंट्स छिपाने के लिए सक्रिय रुप से कई कदम उठाए। इसके अलावा किसी भी तरह की ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसमें अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के उल्लंघन या खतरे को ध्यान में रखते हुए करीब 74% लोग उस ऐप को अपने फोन या कंप्यूटर में इंस्टॉल करने से पीछे हट गए।

स्‍मार्ट होम डिवाइसेस पर भारतीयों का भरोसा है कम

पूरी दुनिया में जहां पर स्मार्ट होम डिवाइसेज को खरीदने से पहले तकरीबन 37 परसेंट लोग अपनी प्राइवेसी या पर्सनल डेटा की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हैं तो वहीं भारत में तकरीबन 63% लोग ऐसे हैं जो कि किसी भी तरह के स्मार्ट होम डिवाइस को खरीदने से पहले अपनी प्राइवेसी और पर्सनल डेटा की सिक्योरिटी का ध्यान रखते हैं और इस आधार पर वह स्मार्टफोन डिवाइसेज की खरीद रोक सकते हैं। इसके अलावा इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर भारतीय लोग इंटरनेशनल आंकड़ों की तुलना में आगे नजर आए कि अगर कोई कंपनी उनकी ऑनलाइन शॉपिंग हिस्ट्री और डेटा किसी दूसरी कंपनियों को बेच रही है तो वह उसकी रिपोर्ट जरूर करेंगे।

प्राइवेसी की सिक्‍योरिटी को लेकर सरकार ज्‍यादा जिम्‍मेदार

ऑनलाइन डाटा, पर्सनल सूचनाएं या पासवर्ड क्लाउड पर सुरक्षित रखने का दावा करने वाली ऐप और सर्विसेस को लेकर भारतीय लोग जरा सतर्क हैं क्योंकि उनमें से ज्यादातर लोगों को उन कंपनियों और सर्विसेस पर बहुत कम या बिल्कुल भरोसा नहीं है जो उनकी सूचनाएं कलेक्ट करते हैं। किसी भी व्यक्ति का पर्सनल डाटा और उसकी प्राइवेसी की सुरक्षा को लेकर किसकी ज्यादा जिम्मेदारी है इस मामले पर भारत के 42% लोग कहते हैं की सरकार को आम लोगों की प्राइवेसी और पर्सनल सूचना की सुरक्षा को लेकर अधिक रिस्‍पॉंसिबल होना चाहिए जबकि सिर्फ 32 लोग मानते हैं कि पर्सनल डाटा की सिक्योरिटी के मामले में कंपनियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

बता दें कि यह सभी जानकारियां नॉर्टन लाइफ लॉक की ओर से किए गए The Harris Poll में सामने आई हैं, इस ऑनलाइन पोल में दुनिया के 10 देशों में 10063 वयस्कों पर सर्वे किया गया, तो यह जानकारियां सामने आईं।

Posted By: Chandramohan Mishra