मिडिल क्लास आदमी चाहे तो अपनी दिमागी सूझ बूझ से कहानी का रुख कैसे बदल सकता है। यह जानना हो तो मनीष गुप्ता की फिल्म 420 आईपीसी देख लीजिये। चार्टेड अकाउंटेंट शहर के कई बड़े नामचीन बिल्डर्स और अधिकारीयों के टैक्स का डिपार्टमेंट संभालता है। जाहिर है कि उसे सबके राज पता है। ऐसे में क्या उनके नजदीक और सारे राज जानने की वजह से वह कहानी में कुछ नया मोड़ ले आता है। जानने के लिए ये दिलचस्प फिल्म देखनी होगी आपको। पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : 420 आईपीसी
कलाकार: विनय पाठक, गुल पनाग, रोहन मेहरा, रणवीर शोरे
निर्देशक : मनीष गुप्ता
चैनल : जी 5
रेटिंग : तीन स्टार

क्या है कहानी
कहानी बंसी केसवानी नामक एक चार्टेड अकाउंटेंट की है। शहर के हाई प्रोफाइल लोगों का टैक्स कंसल्टेंट है। उसकी जिंदगी में भूचाल उस वक़्त आता है, जब उसके ही एक क्लाइंट का नाम बड़े स्कैम में फंसता है। किसी तरह बच बचा के वह उस केस से बाहर निकलता है कि एक बार फिर से फर्जी चेक बनाने के नाम पर उस पर मुकदमा ठोका जाता है। यह उसी शहर का है प्रोफ़ाइल आदमी है। अब इस चक्रव्यू से निकलने के लिए, वह क्या कदम उठाता है। यह देखने के लिए फिल्म देखनी होगी। एक युवा वकील उसका केस अपने हाथ में लेता है। लेकिन कहानी जितनी सीधी नजर आ रही होती है, उतनी सीधी है नहीं। कहानी में इतने ट्विस्ट हैं कि आपको हैरान कर देंगे और आप फिल्म के अंत में ही सच जान पाएंगे।

क्या है अच्छा
मनीष गुप्ता ने इसके पहले भी सेक्शन 375 बनाई थी। कोर्टरूम ड्रामा ही थी। अच्छी बात है कि मनीष ने इसे अपना फोर्टे बना लिया है और वह इसकी मेकिंग एन्जॉय कर रहे हैं। सिम्पल सब्जेक्ट लेकर आते हैं और उसे ट्रीटमेंट से एंगेजिंग बना दे रहे हैं। उन्होंने कोर्टरूम ड्रामा को बेहद रियलिस्टिक रखा है। इसलिए फिल्म देखने में मजा आता है। कहानी आपको कहीं भी बोर नहीं करती है। फिल्म को मेलोड्रामा नहीं बनाया है, यह फिल्म की और अच्छी बात है। संवाद फिल्म के दृश्यों के हिसाब से है। सटीक तरीके से लिखे गए हैं।

क्या है बुरा
कहानी की अवधि में थोड़ी कमी की जा सकती थी।

अदाकारी
विनय पाठक अपने अंदाज़ में वापस आये हैं। बेहद सहजता से उन्होंने इस किरदार को निभाया है। गुल पनाग क्यों कम फिल्में करती हैं, पता नहीं,क्योंकि उनका अभिनय बेहद सार्थक है फिल्म में। रोहन मेहरा बाजार के एक बार फिर इस फिल्म में आये हैं। उनकी मेहनत दिखती है। सिवाय उनका एक पर्टिकुलर एक्सेंट अखरता है। रणवीर शोरी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए हैं

वर्डिक्ट
कोर्ट रूम ड्रामा के रूप में दर्शक पसंद करेंगे इसे देखना।

Review by: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari