- 15 मई 2007 को किया था संरक्षित प्रजाति के भालू का शिकार

- एक आरोपी की पहले ही हो चुकी मौत, एक बरी

देहरादून: संरक्षित प्रजाति के काले हिमालयी भालू के शिकार मामले में कोर्ट ने 5 शिकारियों को दोषी करार दिया. सीजेएम विवेक श्रीवास्तव की कोर्ट ने उन्हें 5-5 साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है. एक आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी है. जबकि एक को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया.

3 गोलियां मारी थीं भालू को

सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि 19 मई 2007 को वन रक्षक नीलकंठ शर्मा को सूचना मिली कि दूधली स्थित वकारना के जंगल में कुछ शिकारी देखे गए हैं. विभाग की टीम ने आरक्षित वन क्षेत्र में 6 लोगों को घूमते देखा. पूछताछ में शिकारियों की पहचान सुरेश पुत्र जयपाल सिंह व कबूलचंद पुत्र ध्यान सिंह निवासी ग्राम हल्दूवाला देहरादून, दीवान सिंह पुत्र मायाराम, जगत सिंह पुत्र इंदर सिंह व सोबत सिंह पुत्र इंद्र सिंह निवासीगण टिहरी गढ़वाल, सुंदर सिंह पुत्र भवान सिंह निवासी हारघाट टिहरी गढ़वाल के रूप में हुई. सुंदर सिंह से भालू का पित्त और जगत सिंह से अन्य अंग बरामद हुए. पूछताछ में आरोपितों ने स्वीकार किया कि उन्होंने 15 मई 2007 को भालू को तीन गोलियां मारी थीं. कुछ अंगों को निकालने के बाद भालू के शव जंगल में दफन कर दिया. शिकारियों की निशानदेही पर भालू का शव बरामद कर लिया गया. बाद में पुलिस ने तीनों के घर की तलाशी ली, लेकिन बंदूक बरामद नहीं हुई. सुनवाई के दौरान एक आरोपित सूरत सिंह की मृत्यु हो गई. वहीं, सोबत सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया. कोर्ट ने सजा का ऐलान करते हुए कहा कि दोषी सुरेश, कबूल चंद, दीवान सिंह, जगत सिंह व सुंदर सिंह ने संरक्षित प्रजाति के हिमालयी काले भालू का शिकार किया, जो गंभीर अपराध है. पांचों को 5-5 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई.

Posted By: Ravi Pal