नई कहानी लिखेगा मोदी का 'टोक्यो लव', 5 दिन की यात्रा के लिये हुये रवाना
मोदी का है पुराना रिश्ता
एक ओर जहां भारत और जापान के दोस्ती सालों पुरानी है, तो वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी का भी रिश्ता कुद नया नहीं है. इस यात्रा से पहले वो 2 बार गुजरात के सीएम रहते जापान यात्रा कर चुके हैं. 2012 की यात्रा के दौरान मोदी जापान के पीएम शिंजो आबे से भी मिले थे. शायद मोदी की इन्हीं यात्राओं में छुपी है लव इन टोक्यो की दास्तां, जो दोनों देशों के रिश्तों की नई कहानी लिखने के लिये बेताब है. मोदी का टोक्यो के लिये प्यार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने उपमहाद्वीप के बाहर द्विपक्षीय यात्रा के लिये सबसे पहले जापान को चुना है.
क्या कहता है मोदी के एजेंडे का पिटारा
1- बुलेट ट्रेन समझौता
क्योटो में मोदी जापान की हाई स्पीड रेलवे को देखेंगे. पीएम भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की बात पहले ही कह चुके हैं, लेकिन जापान को इस मामले में चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है. अब सवाल यह है कि भारत किसको पसंद करेगा.
2- नागरिक परमाणु करार
इस दौरे पर जापान के साथ नागरिक परमाणु करार मुमकिन है. हालांकि लगभग तीन सालों की चर्चा के बावजूद अभी भी कुछ पेंच फंसे हुये हैं.
3- यूएस 2 एंम्फीबियन एयरक्राफ्ट
जापान में 15 जहाजों की डील की बात हो रही है, जिसमें से 3 हम खरीदेंगे और 12 अपने यहां बनायेंगे. गौरतलब है कि हवा और पानी में चलने वाले ऐसे जहाज की तकनीक के मामले में जापान बहुत आगे है.
4- रणनीतिक साझेदारी
रक्षा और विदेश मंत्रालय के सचिव और उपमंत्रियों के बीच 2+2 फॉर्मेट वाली सालाना वार्ता को अपग्रेड करना भी इस एजेंडे में शामिल है, यानी हर साल मंत्री स्तर की वार्ता शुरू हो सकती है. आपको बता दें कि जापान ऐसा सिर्फ अमेरिका और रूस के साथ करता है.
5- मेरीटाइम समझौता
मोदी की यात्रा के दौरान भारत और जापान की नौसेना के साझा अभ्यास पर भी फैसला हो सकता है. दरअसल भारत-जापान में रक्षा क्षेत्र में मजबूत साझेदारी चीन के दबदबे को कम करने में निर्णायक साबित हो सकती है.
6- आर्थिक समझौता
मोदी के साथ इस दौरे पर मुकेश अंबानी, अदानी, चंदा कोचर, किरण मजूमदार शॉ समेत कई बिजनेसमैन और अर्थशास्त्रियों का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल होगा. उम्मीद है कि आर्थिक मोर्चे पर कई बढ़े समझौते हो सकते हैं.
7- जापान से 1.7 लाख करोड़ का फंड
माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी इकॉनमी की रफ्तार बढ़ाने के लिये अगले 5 साल में जापान से 1.7 लाख करोड़ डॉलर को फंड चाहते हैं, लेकिन सवाल यह है कि जापान का इस मसले पर क्या रुख होगा.