नेपाल में वामपंथी गठबंधन की भारी जीत भारत के लिए नई कूटनीतिक चुनौती साबित हो सकती है। नेपाल के वामपंथी दलों का झुकाव चीन की ओर रहा है। ऐसे में नेपाल में चीन की गतिविधियां बढ़ सकती हैं। मालदीव और चीन की बढ़ती नजदीकी पहले से ही भारत के लिए सिरदर्द बनी हुई है।


1- भारत समर्थित पार्टियों की करारी हारनेपाली संसद के लिए हुए सीधे चुनाव में वाम गठबंधन अभी तक 165 में से 113 सीटें जीत चुका है, जबकि भारत समर्थक माने जाने वाले नेपाली कांग्र्रेस को महज 21 सीटों से ही संतोष करना पड़ रहा है। ऐसे में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व में इस महीने के अंत तक वामपंथी दलों की सरकार बननी तय मानी जा रही है।डुबो देगा नेपाल का पानी!3- मधेशी आंदोलन के लिए भारत को मानते हैं दोषीयही नहीं, ओली की सरकार के दौरान प्रस्तावित संविधान के खिलाफ तराई के इलाकों में प्रबल मधेशी आंदोलन उठ खड़ा हुआ था। नेपाल में वाम दल इसके लिए भी भारत को जिम्मेदार ठहराते हैं।नेपाल से बिहार में आ रही गांजे की खेप


5- नेपाल की हरसंभव मदद को चीन है तैयारभारत को घेरने की कोशिश में जुटा चीन नेपाल की भारत पर निर्भरता खत्म करने के लिए हरसंभव मदद को तैयार है। ऐसे में आशंका है कि केपी ओली की नई सरकार भारत की कीमत पर चीन के साथ नए सिरे से दोस्ती का हाथ बढ़ा सकती है।

7 साल की इस देवी के दर्शन के लिए उमडती है भक्तों की भीड़, PM भी ले चुके आशीर्वादReport by : नीलू रंजन, नई दिल्ली

Posted By: Satyendra Kumar Singh