देश की आन बान और शान की रक्षा के लिए हर वक्‍त तैयार खड़ी भारतीय सेना पर प्रत्‍येक हिंदुस्‍तानी को गर्व है। अपनी बहादुरी और ताकत से दुश्‍मनों के दांत खट्टे करने वाले इन भारतीय सिपाहियों के जीत के किस्‍से कम रोचक नहीं हैं। ऐसे में जब पूरा देश गणतंत्र दिवस के माहौल में देशभक्‍ित के रंग में डूबा है तो हमें भी भारतीय जवानों की जीत की कहानियों को याद कर लेना चाहिए...


1. The war of 1967 :-


भारत-चीन बॉर्डर पर चीनी सिपाहियों की घुसपैठ काफी आम बात हो गई थी। चीनी सेना इस तरह की हरकतें करके भारतीय जवानों को उकसाया करती थी। ऐसे में भारत ने इस समस्या को सुलझाने के लिए बॉर्डर की घेराबंदी का काम शुरु कर दिया था। चीन ने इस बात पर भारत से नाराजगी भी जताई लेकिन इस तीखी बहस का हल अभी तक नहीं निकला था। जिसके परिणामस्वरूप चीन ने नाथू ला बॉर्डर पर गोलीबारी शुरु कर दी, इसके बाद भारतीय सेना ने भी गोलिंयों का जवाब गोलियों से दिया। जिसमें कि चीनी बंकर तहस-नहस हो गए और कुल 400 लोग मारे गए, अंत में चीन को इस युद्ध में हार झेलनी पड़ी। चीन को यह हार बर्दाश्त नहीं हुई और उसने चाऊ ला के पास एकबार फिर भारत से टकराने की कोशिश की जिसमें उसके 40 एलीट कमांडो मारे गए हालांकि इस लड़ाई में भारत के कैप्टन डागर और मेजर हरभजन सिंह भी शहीद हो गए।3. Annexation of Goa :-

भारत जब 1947 में आजाद हुआ तो उसे समय गोवा में अभी भी पुर्तगाल का कब्जा बना हुआ था। हालांकि उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गोवा को भारत में मिलाने का काफी प्रयत्न किया। लेकिन नेहरू के सभी प्रयास विफल रहे जिसके बाद 1961 में भारतीय सेना एक्शन में आई और पुर्तगालियों को गोवा से भगाकर उसपर कब्जा कर लिया। इस ऑपरेशन को नाम 'ऑपरेशन विजय' रखा गया जिसमें कि भारतीय जवानों ने हवा, समुद्र और जमीन पर तकरीबन 36 घंटे तक ऑपरेशन चलाया। 5. Captain Manoj Kumar Pandey :-1999 कारगिल वार में एक और भारतीय जवान ने अपनी शहादत से देश का नाम रोशन किया था। कारगिल युद्ध में जब पाकिस्तानी सेना ने जुबार टॉप पर कब्जा किया तो कैप्टन मनोज ने दुश्मनों को खदेड़ने का प्लॉन बनाया। उन्होंने पहले देखा कि दुश्मन कहां-कहां से छुपकर गोलियां बरसा रहे हैं, इसके बाद उन्होंने हमला बोला और फिर पहले दुश्मन को मारा उसके बाद दो और लोगों को मारकर आगे बढ़ गए। हालांकि जब वह तीसरे दुश्मन को मार रहे थे तभी उनके कंधे और पैर पर गोलियां लग गई। इसके बावजूद घायल अवस्था में ही उन्होंने ग्रेनेड से चौथे दुश्मन को मार गिरा। इससे पहले कि वह और दुश्मनों को खत्म करते एक गोली सीधे उनके सिर पर लग गई। कैप्टन मनोज की इस शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari