150 लोगों के नंबर सर्विलांस पर है पीएफआई से जुड़े होने की आशंका पर

56 नामजद लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया था मुकदमा

50 और उपद्रवियों को पुलिस ने पहचाना इस्लामाबाद चौकी फूंकने वाले

पुलिस ने अनीस खलीफा समेत सभी गिरफ्तार आरोपियों के पीएफआई कनेक्शन

2 हजार से अधिक बाहरी युवकों को हिंसा से पहले मेरठ में लाया गया था

Meerut। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में 20 दिसंबर (शुक्रवार) को हिंसा के बीच बवालियों ने लिसाड़ीगेट थानाक्षेत्र की इस्लामाबाद पुलिस चौकी को पेट्रोल डालकर फूंक दिया था। पुलिस ने चौकी को फूंकने और चौकी के बाहर खड़ी फैंटम मोबाइल को आग के हवाले कर दिया था। इस घटनाक्रम में पुलिस ने 56 नामजद के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, जिसमें से एक आरोपी गुलफाम को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वहीं पुलिस ने वीडियो और फुटेज देखकर चौकी फूंकने के आरोपी 50 बवालियों को और पहचान लिया है। सभी के नाम मुकदमे में बढ़ाए जा रहे हैं। वहीं गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

कई नंबर सर्विलांस पर

अनीस खलीफा के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से कनेक्शन 'क्लियर' होने बाद पुलिस ने खलीफा के संपर्क में 150 संदिग्ध के फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिए हैं। इन नंबर्स की सभी गतिविधियां, फोन कॉल्स, व्हाट्सएप डाटा आदि रिकार्ड किया जा रहा है, वहीं पुराने रिकार्ड को ट्रैस किया जा रहा है। एसपी सिटी डॉ। ओपी सिंह ने बताया कि 20 दिसंबर को हुई हिंसा के आरोपी अनीस ने एक प्लानिंग के तहत मेरठ में युवाओं को भड़काया। पीएफआई के निर्देशन में खलीफा ने मेरठ में हिंसा को भड़काया। इतना ही नहीं 2 हजार से अधिक बाहरी युवकों को हिंसा से पहले मेरठ में लाया गया, यहां उनके ठहरने का बंदोबस्त किया गया और सभी को शहर के विभिन्न हिस्सों की जानकारी दी गई। 20 दिसंबर की हिंसा के लिए ये ट्रेंड युवक ही मॉब की अगुवाई कर रहे थे। पुलिस की जांच में 150 से अधिक ऐसे लोग चिह्नित हुए हैं जिनका हिंसा में हाथ है। और ये परदे के पीछे हैं। पुलिस ने सभी संदिग्ध के नंबर सर्विलांस पर लगा दिए हैं।

30 जून की घटना से जुड़े तार

एसपी सिटी डॉ। एएन सिंह ने बताया कि मेरठ में 30 जून को मॉब लिचिंग के विरोध में हुई हिंसा और 20 दिसंबर को सीएए के विरोध में हुई हिंसा के तार जुड़ रहे हैं? इस पर जांच चल रही है। ट्रेनिंगशुदा बवाली जामा मस्जिद में कैसे दाखिल हुए? इसकी जांच जारी है। अनीस खलीफा के पीएफआई कनेक्शन के साथ-साथ मेरठ में कुछ ऐसे लोग भी चिह्नित हुए हैं जो परदे के पीछे रहकर घटनाक्रम को अंजाम दे रहे थे। सभी के खिलाफ जांच कर पुलिस कार्रवाई करेगी।

नहीं आया एक भी बयान

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के विरोध में 20 दिसंबर को मेरठ में हिंसा का एक भी चश्मदीद, एक भी गवाह बयान दर्ज कराने जांच अधिकारी एमडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी के समक्ष पहुंचा। मजिस्ट्रियल जांच के लिए 16 जनवरी तक साक्ष्यों के साथ एमडीए सिटी के समक्ष उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज कराना था। ऐसे में जांच अधिकारी पुलिस से साक्ष्यों को जुटाकर जांच करेंगे। हालांकि अभी भी यदि कोई अपना बयान दर्ज करा सकता है तो वो एडीएम सिटी के समक्ष अपना बयान दर्ज करा सकते हैं।

नमाज के बाद भड़की भी हिंसा

मेरठ में 20 दिसंबर (शुक्रवार) जुमे की नमाज के बाद जामा मस्जिद में धर्मगुरुओं की तकरीर के बाद एकाएक करीब 2 हजार युवाओं को हुजूम सड़कों पर उमड़ पड़ा। हुजूम एक दर्जन से अधिक गुटों में बंट गया और नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में नारेबारी करते हुए हिंसक हो गया। करीब 6 घंटे तक उपद्रवियों ने घूम-घूमकर शहर के विभिन्न हिस्सों में हिंसा को अंजाम दिया। पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर फायरिंग और पत्थरबाजी की गई। पुलिस चौकी को फूंक दिया गया तो वहीं पुलिस के कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। हिंसा के दौरान 6 लोगों की मौत हुई जबकि डेढ़ दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर घायल हुए थे। सीएए के विरोध में मेरठ की हिंसा दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी। जिसपर गंभीर सरकार ने पूरे प्रकरण की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। हिंसा के चश्मदीद और शहर के एडीएम सिटी अजय कुमार तिवारी को डीएम अनिल ढींगरा के निर्देश मजिस्ट्रियल जांच सौंपी गई। वहीं 16 जनवरी तक जांच के दौरान जनसामान्य का अपना पक्ष रखने के लिए समय दिया गया।

नहीं आया एक भी बयान

घटनाक्रम के करीब 1 माह बाद भी एडीएम सिटी कार्यालय में एक भी व्यक्ति हिंसा के संबंध में न तो अपने बयान दर्ज कराने पहुंचा और न ही किसी व्यक्ति हिंसा से जुड़े वीडियो, सीसीटीवी फुटेज, ऑडियो या रिकार्डिग जांच अधिकारी को सौंपा। हालांकि बता दें कि जांच अधिकारी ओर से पहले ही बयान दर्ज कराने और सूचनाएं उपलब्ध कराने वाले का नाम गोपनीय रखने की बात कहीं गई थी। एडीएम सिटी न कहा कि यदि अभी भी कोई व्यक्ति घटनाक्रम के संबंध में अपना बयान देना चाहता है तो वो कार्यालय में आकर अपना बयान दर्ज करा सकता है।

पुलिस से जुटाएंगे साक्ष्य

एडीएम सिटी ने बताया कि मजिस्ट्रियल जांच में जनसामान्य की भागेदारी न होना बेहद गंभीर मुद्दा है। हालांकि उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति अपना पक्ष नहीं भी रखेगा तब भी प्रकरण की मजिस्ट्रियल जांच को पूर्ण किया जाएगा। पुलिस द्वारा हिंसा के विक्टिम और चश्मदीद के रिकार्डेड बयानों को भी जांच में शामिल किया जाएगा। एडीएम सिटी ने पुलिस विभाग से हिंसा से जुड़े साक्ष्य और दस्तावेज तलब किए हैं। गिरफ्तार आरोपियों के संबंध में भी विस्तृत जानकारी एडीएम सिटी ने पुलिस से मांगी है।

20 दिसंबर की हिंसा के संबंध में अभी तक किसी भी व्यक्ति ने न तो बयान दर्ज कराया और न ही साक्ष्य उपलब्ध कराया है। ऐसे मजिस्ट्रियल जांच को पूरा करने के लिए पुलिस से साक्ष्यों और दस्तावेजों को मांगा गया है।

अजय कुमार तिवारी, एडीएम सिटी

Posted By: Inextlive