आई इनवेस्टीगेट

- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के साथ जुड़े हुए हैं 1100 डॉक्टर

- कई डॉक्टर्स ने नहीं लिया है नगर निगम से क्लीनिक का लाइसेंस

मितेंद्र गुप्ता

मेरठ। शहर में सिर्फ 205 क्लीनिक चल रहे हैं। यकीन करना मुश्किल है, लेकिन नगर निगम के दस्तावेजों का सच यही है। जी हां, क्लीनिक खोलने के लिए डॉक्टर्स को नगर निगम से लाइसेंस लेना पड़ता है। भले ही शहर में 500 से अधिक क्लीनिक चल रहे हों, लेकिन नगर निगम से लाइसेंस सिर्फ 205 क्लीनिक के लिए लिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन भी मानता है कि कई डॉक्टर्स ने नगर निगम से लाइसेंस नहीं लिया है।

आईएम के 1100 डॉक्टर्स

शहर में डॉक्टर्स की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन नाम से एक संस्था है। इस संस्था के साथ शहर में 1100 डॉक्टर्स जुड़े हुए हैं, लेकिन शहर में दो हजार से अधिक डॉक्टर्स हैं और क्लीनिक की संख्या 500 से ज्यादा है।

लाखों रुपये फटका

अवैध रुपये से चल रहे है तीन सौ से अधिक क्लीनिकों पर लाइसेंस ही नहीं है। इससे निगम को लाखों रुपये फटका लग रहा है। क्योंकि क्लीनिक खोलने के लिए निगम से लाइसेंस लेने की वार्षिक फीस पांच हजार रुपये हैं। यदि 300 क्लीनिक ही मानें, जिन्होंने लाइसेंस नहीं ले रखा तो इस हिसाब से नगर निगम को हर साल 15 लाख रुपये का फटका लगता है। यदि निगम अभियान चलाए और सभी डॉक्टर्स लाइसेंस जारी करे तो नगर निगम की आय में हर साल 15 लाख रुपये का इजाफा हो सकता है।

नगर निगम से करीब 50 व्यापारों को लाइसेंस जारी किया जाता है। हर व्यापार में अभियान चलाकर चेकिंग करना संभव नहीं है, फिर भी प्रयास किया जाता है।

-दिनेश यादव, संपत्ति एवं कर निर्धारण अधिकारी

लगभग 1100 डॉक्टर्स आईएमए के सदस्य हैं, वहीं शहर में लगभग 2 हजार से अधिक डॉक्टर्स प्रैक्टिस कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर्स ऐसे हो सकते हैं, जिन्होंने लाइसेंस न लिया हो। उन्हें लाइसेंस लेना चाहिए।

-डॉ। विरोत्तम तोमर, अध्यक्ष आईएमए

आंकड़े बयां कर रहे कहानी

205 क्लीनिक के पास है नगर निगम का लाइसेंस

500 से अधिक शहर में चल रहे क्लीनिक

5000 रुपये है एक लाइसेंस की वार्षिक फीस

300 अवैध क्लीनिक शहर में हो रहे संचालित

15 लाख रुपए सालाना का नगर निगम को हो रहा नुकसान

Posted By: Inextlive