राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जीवन की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर आधारित किताब ‘द टर्बुलेंट ईयर्स: 1980-1996’ के दूसरे खंड का अनावरण गुरुवार को उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया। इस किताब में राष्‍ट्रपति ने बताया है कि एक फरवरी 1986 में राममंदिर जन्मभूमि का ताला खुलवाना प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भूल थी। लोगों को लगता है कि ऐसे फैसले से बचा जा सकता था। ऐसे कई और बातें भी किताब के जरिए सामने आयी हैं जानिए उनमें छह खास बातें।

बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाना राजीव गांधी की भूल
विवादित बाबरी ढांचे को गिराए जाने को एक बेहद शर्मनाक घटना बताते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब में लिखा है कि ये एक ऐसी घटना थी जिससे दुनिया में एक सहिष्णु और धार्मिक सद्भाव वाले देश के रूप में भारत की छवि को धक्का लगा। उन्होंने लिखा है कि अयोध्या में जन्मभूमि का ताला खुलवाना राजीव गांधी का गलत निर्णय था और बाबरी विध्वंस नरसिम्हा राव सरकार की सबसे बड़ी विफलता थी।
नरसिम्हा राव पर हुए खफा
इतना ही नहीं, विवादित ढांचे को नहीं बचा पाना पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के जीवन की सबसे बड़ी विफलता थी। ढांचा गिराए जाने के बाद राव से अपनी एक मुलाकात का जिक्र करते हुए प्रणब मुखर्जी लिखते हैं, ‘मैंने गुस्से में उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई और पूछा कि क्या ऐसा कोई भी नहीं था जो आपको सही सलाह दे सके।’ मैंने पूछा कि क्या आप इसके खतरों के बारे में नहीं समझते हैं। मैंने कहा कि कम से कम अब आपको मुसलमानों की भावनाओं पर मरहम लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. अपने चिर परिचित अंदाज में नरसिम्हा राव चुपचाप सुनते रहे। लेकिन उनके चेहरे को देख कर लग रहा था कि वह दुखी और निराश हैं। 

नहीं बनना था अंतरिम प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति ने किताब में राजीव गांधी से अपने खराब रिश्तों पर सफाई देते हुए कहा, ‘कई कहानियां प्रसारित की गई थीं। जैसे कि मैं अंतरिम प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं। या मैंने अपनी दावेदारी रखी है और इसके बदले में कुछ और अपेक्षा रखता हूं।...ये कहानियां झूठी और निराधार हैं और इससे राजीव गांधी के मन में मेरे खिलाफ गलतफहमियां पैदा हुईं।’
क्या था बाथरूम विवाद
राष्ट्रपति ने बताया कि प्रधानमंत्री पद को लेकर उनकी राजीव गांधी के साथ ‘बाथरूम विवाद’ भी सामने आया। उन्होंने कहा, ‘मैं दंपति (राजीव और सोनिया) के पास गया। धीरे से राजीव के कंधे पर हाथ रखा। ताकि वह समझ जाएं कि कुछ जरूरी और अति गोपनीय काम है। मामला जरूरी जानकर वह मुझे जल्दी से अपने कमरे से अटैच बाथरूम में ले गए। तब उन दोनों ने राजनीतिक हालात पर चर्चा की और राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाने को लेकर कांग्रेस के लोगों की राय बताई।’
विलेन नहीं थे संजय गांधी
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब की शुरुआत 23 जून 1980 से की है, जिस दिन एक विमान हादसे में संजय गांधी की मौत हुई थी। संजय गांधी की तारीफ में प्रणब मुखर्जी ने विस्तार से लिखा है। इमरजेंसी के बाद संजय गांधी को विलेन की तरह पेश किया गया और उनके खिलाफ काफी जहर उगला गया। लेकिन संजय गांधी साफ सोच वाले बेबाक और निडर नेता थे।
शाह बानो मामले राजीव की छवि को लगा धक्का
राष्ट्रपति मुखर्जी ने शाह बानो मामले का भी जिक्र किया और लिखा है कि इस केस में राजीव गांधी के निर्णय से उनकी एक आधुनिक व्यक्ति के तौर पर बनी छवि खराब हुई और उनके फैसलों पर उंगलिया उठीं। 1978 में इस केस में पांच बच्चों की मां मुस्लिम महिला शाह बानो को उसके पति ने तलाक दे दिया था। उसने एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और उसे अपने पति से गुजारा भत्ते का अधिकार हासिल हुआ। 

ऑपरेशन ब्लू स्टार का किया सर्मथन
प्रणव मुखर्जी ने 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों के सफाये के लिए चलाए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार को सही ठहराते हुए उसके के बारे में कहा है कि तत्कालीन प्रधनमंत्री इंदिरा गांधी हालात को बखूबी समझती थीं और उनकी सोच बहुत साफ थी कि अब कोई और विकल्प नहीं रह गया है। उन्होंने लिखा है कि यह कहना बहुत आसान है कि सैन्य कार्रवाई टाली जा सकती थी। लेकिन कोई भी यह बात नहीं जानता कोई दूसरा विकल्प है या नहीं और वो कितना प्रभावी साबित होगा। ऐसे फैसले उस वक्त के हालात के हिसाब से लिए जाते हैं।

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Posted By: Molly Seth