-सीएसजेएमयू से संबद्ध सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों पर कसा शिकंजा

-एलएलबी के कुछ कॉलेजों की मान्यता पर भी गिर सकती है गाज

KANPUR : छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी का नियम करीब 100 कॉलेजों पर भारी पड़ सकता है। जिन कॉलेजों को अस्थाई मान्यता मिली हुई है उनकी हालत ज्यादा खराब है। किसी कॉलेज मे प्रिंसिपल का तो किसी कॉलेज मे टीचर का अनुमोदन नहीं मिला है, इसकी वजह से यह कॉलेज यूनिवर्सिटी के पेंच में फंस गए हैं। इन कॉलेजों का अगर रिजल्ट 60 परसेंट नहीं आया तो भी मान्यता पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे। यही वजह है कि करीब एक दर्जन से ज्यादा कॉलेजों ने इस बार फ‌र्स्ट इयर मे स्टूडेंट्स का एडमिशन नहीं लिया है।

100 कॉलेज इसकी चपेट में

छत्रपति शाहू जी महाराज यूनिवर्सिटी का दायरा 14 जिलों तक फैला हुआ है। करीब 1200 से ज्यादा कॉलेज इस यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं। यूनिवर्सिटी पहले तो टेम्प्रेरी मान्यता सेल्फ फाइनेंस कॉलेज को देती है। जिसमें कि बीएड की मान्यता एक साल के लिए पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स की मान्यता दो साल के लिए और अंडर ग्रेजुएट कोर्स की मान्यता तीन साल के लिए यूनिवर्सिटी से मिलती है। इसके बाद मान्यता रिन्यूअल कराना पड़ता है। यूनिवर्सिटी से संबद्ध 100 कॉलेज इसकी चपेट में हैं, जिसमें कि कुछ एलएलबी कॉलेज भी शामिल हैं।

यूनिवर्सिटी इन कसौटी पर कसती है

सेल्फ फाइनेंस कॉलेज मैनेजमेंट ने प्रिंसिपल का अनुमोदन कराया है या कि नहीं। कॉलेज में पढ़ाने वाले टीचर्स का अनुमोदन है या नहीं। कॉलेज का रिजल्ट 60 परसेंट आ रहा है या नहीं। अगर नहीं आ रहा है तो फिर पहली बार चेतावनी जारी की जाती है। इसके बाद भी सुधार न हुआ तो मान्यता समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। बुधवार को एक कॉलेज का मैनेजमेंट सेंटर न चेंज करने की गुजारिश यूनिवर्सिटी के एक ऑफिसर से कर रहा था। हकीकत यह है कि इस कॉलेज में यूजी के सेकेंड इयर व थर्ड इयर की क्लासेज कराई गई हैं। टीचर सिर्फ दो ही अनुमोदित हैं, जिसकी वजह से इस कॉलेज की मान्यता पर भी संकट छाया है।

वर्जन

हाईकोर्ट ने डायरेक्शन दिए हैं कि मान्यता अस्थाई नहीं बल्कि स्थाई दी जाए। मान्यता देने के पहले टीचिंग स्टाफ का कोरम पूरा चेक कर लिया जाए। इसके बाद स्थाई मान्यता प्रदान की जाए।

-विनय त्रिवेदी, प्रेसीडेंट, सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन यूपी।

वर्जन

करीब सौ कॉलेज पर गाज गिर सकती है। मान्यता हासिल करने के बाद नॉ‌र्म्स पूरा न करने वाले वित्तविहीन कॉलेज पूरी नहीं करते हैं। कहीं टीचर का अनुमोदन नहीं कराया गया है तो कहीं प्रिंसिपल का पेंच फंसा है। अगर रिजल्ट 60 परसेंट न आया तो भी समस्या हो सकती है।

-सय्यद वकार हुसैन, रजिस्ट्रार, सीएसजेएमयू।

Posted By: Inextlive